May 3, 2024

सतयुग दर्शन वसुन्धरा में कक्ष में पहुंचे महावीर पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी

Faridabad/Alive News : भूपानी स्थित, एकता के प्रतीक, ध्यान-कक्ष यानि समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा देखने आज महावीर पब्लिक हाई स्कूल के बच्चे सतयुग दर्शन वसुन्धरा परिसर में पहुँचे। कैम्पस की अद्वितीय शोभा देखते ही बच्चों व साथ आए अध्यापकों की आंखे खुली की खुली रह गई। उनका कहना था कि फरीदाबाद क्षेत्र में इतना सुन्दर दर्शनीय स्थल भी है, जहाँ इंसानियत का पाठ पढ़ाया जाता है, इसका उन्हें पता ही नहीं था।

उपस्थित बच्चों व अध्यापकों को कैम्पस के मुख्य द्वार से लेकर ध्यान-कक्ष की शोभा व निर्मित बनावट की महत्त से परिचित कराते हुए बताया गया कि चाहे इस शरीर का कर्त्ता-हर्त्ता परमेश्वर है परन्तु फिर भी यह समझने की आवश्यकता है कि जीव और शरीर भिन्न हैं। जीव चेतन है और शरीर जड़। स्थूल शरीर के साथ जीव के संयोग और वियोग का नाम ही जन्म और मृत्यु है।

इसी संदर्भ में जीव की अनश्वरता और जगत की नश्वरता का भान कराते हुए उन्हें प्राकृतिक दृश्यों के साथ जोडऩे से भाव-स्वभाव पर पडऩे वाले नकारात्मक दुष्प्रभावों का परिचय देते हुए कहा कि इस ब्रह्मांड में जो भी हमें अच्छा या प्रिय लगता है उसके प्रति हमारे अन्दर राग व जो भी बुरा या अप्रिय लगता है उसके प्रति अन्दर द्वेष अर्थात्‌ द्वि-भाव पनपता है। इस प्रकार राग-द्वेष के कारण पनपे विषय-विकारों अर्थात काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार का घेरा जीव की बुद्धि हर, उसे अज्ञान रूपी अंधकार में बंधनमान बना देता है। अविवेक के कारण वह न ही अपना कार्य कुशलता से कर पाता है और न ही अपनी रक्षा कर पाता है। यहाँ तक कि इन्द्रियाँ भी उसके वश में नहीं रहती और वह कुकर्म-अधर्म में फँस अपनी हानि करने वाला बन अपने से भी प्रेम नहीं रख पाता।

अत: व्यक्तिगत स्तर पर व्यापक इस अचेतनता/जड़ता व इस कारण पनपी विकार-वृत्तियों के प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें कहा गया कि आज यह अनिवार्य हो गया है कि प्रत्येक मानव अपने अस्तित्व के मूलाधार को समझें और तद्‌नुसार अपने अन्दर मानव होने के भाव को विकसित करने का यत्न करें। इससे सजनता पनपेगी व हम सर्वव्यापक भगवान की यथार्थता को स्वीकार तदनुकूल आचार, विचार व व्यवहार दर्शा सत्यनिष्ठ और धर्मपरायण बन सकेंगे। उपस्थित बच्चों ने कहा कि वसुन्धरा कैमपस व निर्मित समभाव-समदृष्टि के स्कूल की भव्य शोभा वास्तव में कमाल है।

एक बच्चे ने तो यहां तक कि शायद हमारी किस्मत अच्छी थी जो हमें इस अनूठे स्कूल में आने का अवसर मिला। उपस्थित बच्चों ने अपने अभिभावको समेत पुन: यहां पधारने का वायदा किया। बच्चों के साथ उपस्थित अध्यापिका ने कहा कि आज शिक्षा में यदि कही कमी है तो वह है अध्यात्मिकता व नैतिकता की, मुझे यह देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई है कि सतयुग दर्शन वसुंधरा पर निर्मित इस समभाव-समदृष्टि के स्कूल से यह कार्य बखूबी निभाया जा रहा है।