March 29, 2024

प्रदेश में फेल होता मॉडल संस्कृति स्कूलों का मॉडल

Faridabad/Alive News : हरियाणा सरकार ने सरकारी स्कूलों को मॉडल संस्कृति स्कूल में बदलने को लेकर बड़े बड़े दावे किए थे। सरकार का दावा था कि इन विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई के साथ-साथ वे सभी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी जो प्राइवेट स्कूलों में मोटी फीस देकर बच्चों को प्राप्त होती हैं। लेकिन सरकार के सभी दांवे ठंड़े बस्ते में पड़े है।

सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता देने और सीबीएसई स्कूलों की तरह अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराने के लिए बनाए गए मॉडल संस्कृति स्कूल सिर्फ नाम के ही रह गए हैं। हरियाणा अभिभावक एकता मंच का कहना है कि इन संस्कृति मॉडल स्कूलों में अध्यापक व संसाधनों की बेहद कमी है।

प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों की दशा में सुधार व शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए प्रदेश में 136 राजकीय मॉडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक और 1418 राजकीय मॉडल संस्कृति प्राथमिक विद्यालय बनाए गए हैं। इनमें फरीदाबाद जिले के 90 मॉडल संस्कृति स्कूल भी शामिल हैं। इनमें से पांच वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल सेक्टर 55, एनआईटी 3, नंगला गुजरान, तिगांव, मेवला महाराजपुर को सीबीएसई की मान्यता दिलाई गई है।

इस ओर शिक्षा विभाग का दावा है कि छात्रों को बेहतर शिक्षा देने व सीबीएसई स्कूलों की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कराने के लिए सरकार की ओर से ये मॉडल संस्कृति विद्यालय बनाये गए थे। जबकि दूसरी ओर अभिभावक संगठन हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा का कहना है कि बनाए गए मॉडल संस्कृति विद्यालयों की बिल्डिंग वही पुरानी है। इनमें कई कमरे कंडम व जर्जर हैं। इन स्कूलों का नाम तो मॉडल रख दिया पर कोई भी नई उपलब्धि व अधिक संसाधन मुहैया नहीं कराए गए हैं। सिर्फ मेन गेट पर मॉडल संस्कृति विद्यालय का बोर्ड लगा दिया गया है। ये स्कूल नाम से मॉडल हैं, अध्यापक व संसाधनों की कमी है। जिले के जिन पांच स्कूलों को सीबीएसई का बनाया गया है।

उनमें भी पीजीटी, टीजीटी जेबीटी, अध्यापक व अन्य स्टाफ की कमी है। बाकी के मॉडल संस्कृति विद्यालयों में भी अध्यापकों के काफी पद रिक्त हैं। अधिकांश स्कूलों में मेडिकल, नोन मेडिकल की पढ़ाई नहीं हो रही है। जिसकी वजह से छात्र 11वीं में नॉन मेडिकल, मेडिकल स्ट्रीम में दाखिला नहीं ले पा रहे हैं। मजबूरी में उन्हें प्राइवेट स्कूलों का रुख करना पड़ रहा है। जिन स्कूलों में मेडिकल, नोन मेडिकल की पढ़ाई होती भी है तो वहां फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी, मैथ के अध्यापकों की कमी है।

मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बीएस बिरदी का कहना है कि सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को सीबीएसई की मान्यता दिलाने में पक्षपात किया गया है। फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा सीबीएसई के प्राइवेट स्कूल हैं। जो सबसे ज्यादा शिक्षा का व्यवसायीकरण करके छात्र व अभिभावकों का हर तरह से आर्थिक व मानसिक शोषण कर रहे हैं। फरीदाबाद विधानसभा क्षेत्र में एक भी सीनियर सेकेंडरी स्कूल को सीबीएसई की मान्यता नहीं दिलाई गई है।

इसी प्रकार बल्लभगढ़ विधान सभा क्षेत्र में 7 करोड़ की लागत से बल्लभगढ़ शहर में सीनियर सेकेंडरी स्कूल की बहु मंजिली आधुनिक बिल्डिंग बनाई गई है। चार करोड़ रुपए की लागत से अनंगपुर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल की भी बहु मंजिल बिल्डिंग बनाई गई है। इन दोनों को सीबीएसई की मान्यता नहीं दिलाई गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिले के अधिकांश सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग व कमरे जर्जर हालत में हैं। जिला शिक्षा अधिकारी फरीदाबाद के रिकॉर्ड के मुताबिक
बल्लभगढ़ ब्लॉक के प्राइमरी व मिडिल स्कूल सीकरी, जवां, कोराली, अटेली, अटेरना, फतेहपुर तगा, मोहना, नंगला, मोटूका, नहरावली नरयाला, अजरौंदा, नरहेरा खेड़ा, सिकरोना, शाहपुर खुर्द, गड़खेड़ा व वरिष्ठ माध्यमिक भनकपुर, फतेहपुर बिल्लौच, छांयसा के स्कूलों की बिल्डिंग व कमरे जर्जर है।

इसी प्रकार फरीदाबाद ब्लॉक के प्राइमरी व हाई स्कूल तिलपत, मांगर, पावटा, प्याला, मोहला, हरफला, कबूलपुर बांगर, आलमपुर, बदरपुर सेद, बडोली, भूआपुर, गाजीपुर, सागरपुर, डबुआ गांव, वरिष्ठ माध्यमिक अरुआ, धौज, जसाना, ओल्ड फरीदाबाद खेड़ीकलां आदि स्कूलों की बिल्डिंग व कमरे भी जर्जर हैं। इन्हीं स्कूलों में से कई स्कूलों को मॉडल संस्कृति विद्यालय बना दिया गया है। मंच का कहना है सिर्फ मॉडल लिख देने से यह स्कूल मॉडल नहीं बन पाएंगे। इनमें शिक्षा का माहौल पैदा करने के लिए, टीचर व संसाधनों की कमी को जानने के लिए ब्लॉक व जिला शिक्षा अधिकारी, उपायुक्त, सांसद, विधायक को आगे आना होगा।

मंच का कहना है कि जिले के सभी विधायक अपने अपने क्षेत्र के मॉडल संस्कृति विद्यालयों को गोद लेकर वास्तव में इन्हें मॉडल बनाएं। ऐसा होने पर ही निजी स्कूलों को टक्कर देने के लिए बनाए गए मॉडल संस्कृति विद्यालयों में शिक्षा का माहौल बेहतर होगा, अध्यापकों व संसाधनों की कमी दूर होगी। अगर, सभी जनप्रतिनिधि अपने एजेंडे में सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार कराने में प्राथमिकता देंगे तो निश्चित ही सरकारी स्कूलों का कायापलट हो पाएगा।

कैलाश शर्मा ने कहा है कि मंच पिछले 5 साल से सरकारी शिक्षा बचाओ अभियान के तहत सरकारी स्कूलों की कंडम व जर्जर हो चुकी बिल्डिंग व कमरों का पता लगा कर कार्यपालिका व न्यायपालिका के माध्यम से उनकी जगह नई हाईटेक आधुनिक बिल्डिंग व कमरे बनवाने के प्रयास में लगा हुआ है।