December 25, 2024

प्याली चौक पर नाले की मुंडेर न होने से धुंध में वाहनों के लिए बढ़ा खतरा

Faridabad/Alive News: सुबह-शाम की धुंध अपना प्रकोप दिखा रही है और शहर में खुले नाले मौत को दावत दे रहे है। ऐसा ही एक खुला नाला प्याली चौक जाट संस्था के साथ से निकल रहा है। नगर निगम की लापारवाही से प्याली चौक से अनाज गोदाम की ओर जाने वाली सड़क पर बने नाले की पुलिया पर मुंडेर न होने से धुंध में वाहनों के नाले में गिरने का खतरा बना हुआ है। नाला सड़क के नीचे से गुजर रहा है और उस पर सड़क निर्माण के समय से ही मुंडेर नही बनाई गई। धुंध में मुख्य सड़क पर खुला नाला कभी भी हादसे का कारण बन सकता है।

दरअसल, रात में धुंध अधिक होने के कारण और सड़क पर स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था न होने के कारण दुपहिया वाहन चालकों को कई बार यह नाला दिखाई नहीं देता और वह हादसे का शिकार हो जाते है। स्थानीय निवासी हरप्रीत पाल के अनुसार यह नाला पिछले कई माह से बिना मुंडेर के ही पड़ा है। इससे हादसा होने की आशंका तो है ही साथ ही नाले से निकलने वाली बदबू यहां से आने-जाने वाले लोगों के लिए आफत बनी हुई है। हालांकि, लोगों ने कई बार इसकी शिकायत नगर निगम अधिकारियों से नाले के दोनों ओर मुंडेर बनाने की मांग की है। लेकिन अधिकारी शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे है।

कहां कहां ली खुले नाले ने जान
6 नवंबर 2022 को फरीदाबाद की जवाहर कालोनी में एयरफोर्स मोड़ पर नाला खुला होने के कारण देर रात 11 साल के बच्चे की नाले में गिरने से मौत हो गई थी। जिसके बाद लोगों ने इस हादसे के लिए नगर निगम प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था।

इसके अलावा 9 मई 2022 को नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही के चलते शिव दुर्गा विहार निवासी हरीश वर्मा उर्फ हन्नी की खुले सीवर में गिरने से मृत्यु हो गई थी। जिसके बाद सेव फरीदाबाद संस्था और मृतक के परिजनों द्वारा नगर निगम के सम्बंधित अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकद्दमा सेक्टर 58 थाने में दर्ज करवाया गया था।

इसके अलावा 3 अप्रैल को खेड़ी पुल मवाई रोड पर खुले मैनहोल में 6 साल का एक बच्चा स्कूल से घर जाते समय गिर गया। लेकिन गनीमत रही कि वहां आसपास मौजूद लोगों ने वक्त रहते बच्चे को सही सलामत बाहर निकाल लिया।

14 अप्रैल को एनआईटी 5 में एक बच्चा खेलते हुए मैनहोल में गिर गया जिसे बाइक सवार ने बचा लिया। फरीदाबाद में अब तक ऐसे बहुत से हादसे हो चुके हैं इसके बाद भी नगर निगम अधिकारी समस्या का समाधान करने की बजाए मुख दर्शक बने बैठे हैं।