मकर सक्रांति के त्यौहार को पूरे भारत में मनाया जाता है । हर जगह इस त्यौहार को एक अलग नाम से जाना जाता है । इस त्यौहार को मनाने के सब के अपने महत्व होते है जहां कहीं तिल के लड्डू बांट कर त्यौहार मनाया जरता है तो कहीं पर खिचड़ी खायी जाती है ।
उत्तर प्रदेश में दही और चूडा खाने की परंपरा है यूपी-बिहार में मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। इस दिन दही-चूड़ा, खिचड़ी, तिल के लड्डू और तिल की गजक खाने का विशेष महत्व है। खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में दही-चूड़ा बड़े ही चाव से खाया जाता है।
क्यों खाया जाता है दही चूड़ा
भारतीय त्योहारों पर हम पका हुआ भोजन जैसे- पूरी, सब्जी कचौड़ी आदि बनाते हैं। लेकिन मकर संक्रांति का एक ऐसा त्योहार है जिसमें हम हल्का भोजन करते हैं। दही चूड़ा एक लाइट और पौष्टिक भोजन होता है, इसलिए संक्रांति के मौके पर इसे जरूर खाया जाता है। धार्मिक रूप से इसे खाना बहुत शुभ माना जाता है। इससे सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसी समय धान की कटाई होती और नए चावल निकलते हैं। ताजा धान से खिचड़ी और पोहा बनाया जाता है और पहले सूर्य देव को भोग लगा कर इसके बाद दही चूड़ा और खिचड़ी सभी लोगों को बांटी जाती है और खाई जाती है।
दही-चूड़ा खाने के फायदे
स्वास्थ्य के हिसाब से भी दही चूड़ा खाना बहुत फायदेमंद माना जाता है, क्योंकि यह आसानी से पच जाता है और इसमें फाइबर की मात्रा भी बहुत ज्यादा होती है। वहीं, दही हमारे शरीर को ठंडक देता है और पाचन को ठीक रखता है।जब आप सुबह के समय दही चूड़ा खाते हैं तो आपको दिन भर काम करने की एनर्जी मिलती है और थकावट महसूस नहीं होती है।
जो लोग वेट लॉस करना चाहते हैं उनके लिए दही चूड़ा एक परफेक्ट भोजन है, क्योंकि यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और वजन को कम करने में मदद करता है।