New Delhi/Alive News: अमरावती से निर्दलीय सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा को बॉम्बे हाई कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने राणा दंपत्ति की याचिका को खारिज कर दिया है। नवनीत राणा और रवि राणा के ख़िलाफ़ दर्ज दूसरी एफआईआर को रद्द करने के लिए याचिका दायर की गई थी। दोनों के ख़िलाफ़ जो दूसरी एफआईआर हुई थी वो IPC की धारा 353 के तहत दर्ज हुई थी, इसका मतलब सरकारी कामकाज में अड़चन डालना है। इस याचिका पर बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई।
कोर्ट ने दोनों एफआईआर को कंबाइन करने से भी मना कर दिया है। जानकारी के मुताबिक अदालत का कहना है कि दोनों अलग-अलग घटनाएं हैं इसलिए दो अलग-अलग मामले दर्ज हुए। हालांकि दूसरी एफआईआर में गिरफ्तारी से पहले 72 घंटे का नोटिस देने का आदेश मुंबई पुलिस को दिया है। कोर्ट में सरकारी वकील प्रदीप घरत और राणा दंपत्ति के वकील रिजवान मर्चेंट के बीच लंबी बहस चली।
रिज़वान मर्चेंट ने गिरफ्तारी की पूरी बात कोर्ट के सामने रखी। उन्होंने कहा कि दोनों को 22 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। उस समय एक महिला अधिकारी ने बताया था कि उसे उसके काम करने नहीं दिया गया और ये दूसरी FIR 2 बजे रात में दर्ज की गई। रिजवान मर्चेंट ने कहा, ये धारा पहली FIR में क्यों नहीं जोड़ी गई. उसके लिए दूसरी FIR दर्ज करने की क्या ज़रूरत है.नअगर आपने पहली FIR में IPC की धारा 124 (a) जोड़ी तो IPC की धारा 353 भी जोड़ सकते थे।
कोर्ट ने कहा, दूसरी FIR साफ़ बताती है कि दोनों पुलिस को उनके काम में सहयोग नहीं कर रहे थे। ये कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं और इस वजह से उन्हें पुलिस को सहयोग करना चाहिए था पर किया नहीं. इस तरह करना ब्रीच ऑफ लिबर्टी ऑफ अदर पर्सन है। राज्य सरकार ने यह बताया है कि इस तरह के किसी भी कृत्य की वजह से लॉ एंड ऑर्डर पर असर पड़ सकता है। कोर्ट का मानना है कि बड़ी पावर के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है. दूसरी FIR में गिरफ़्तार करने से पहले पुलिस को दोनों को 72 घंटे पहले नोटिस देना होगा। इसके बाद कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।