Chandigarh/Alive News: सरकार और किसानों के बीच पिछले चार माह से बंद बातचीत दोबारा शुरू होने की उम्मीद है। किसानों ने बातचीत शुरू करने की पहल करते हुए पीएम मोदी को पत्र भेजा है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कोरोना के बीच चल रहे धरने को किसानों की मांग पूरी करने के बाद खत्म कराने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के सामने रखा है। आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से पहल न करने की वजह से वार्ता अटकी थी। अब किसानों के पत्र के बाद दोबारा शुरू होने की उम्मीद है।
दरअसल, कृषि कानून रद्द कराने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों को छह महीने होने वाले हैं। इस बीच सरकार व किसानों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन इसके बावजूद कोई समाधान नहीं निकला। सरकार व किसानों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा है। केंद्र सरकार से प्रस्ताव मिलने के बाद ही किसान बातचीत के लिए जाने को तैयार थे। वहीं सरकार ने साफ कर दिया था कि अगर किसान बातचीत करना चाहते हैं तो वह आगे आएं।
इसलिए ही पिछले चार माह से बातचीत का रास्ता नहीं खुल रहा। अब वह रास्ता खुलता दिख रहा है, क्योंकि संयुक्त किसान मोर्चा ने बातचीत शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य बलवीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़ की तरफ से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि जिस तरह से कोरोना चल रहा है, ऐसे में सरकार बातचीत करके किसानों की समस्या का समाधान करे तो वह आराम से अपने घर चले जाएंगे।
इसके साथ ही शर्त रखी गई है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को रद्द करें और फसलों की खरीद के लिए एमएसपी का कानून बनाएं। किसान नेताओं का कहना है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने के नाते सरकार को बड़ा दिल करके किसानों की मांगों पर विचार करना चाहिए। इसके साथ ही सरकार से गांवों में संक्रमण को फैलने से रोकने के प्रभावी कदम उठाए जाने की मांग की गई है।