April 20, 2024

यूनिवर्सल अस्पताल ने फेफड़े ट्रांसप्लांट कर बचाई मरीज की जान

Faridabad/Alive News: यूनिवर्सल अस्पताल ने एक मरीज जिसके दोनों फेफड़े पूरी तरह से खराब हो चुके थे, उसकी जान बचाई है। मरीज ज्ञानचंद जिसकी उम्र 55 साल है, जो काफी समय से फेफड़े की तकलीफ से पीड़ित था और उसे 8 से 12 लीटर ऑक्सीजन लगातार दी जा रही थी, जिसके चलते जिसकी जीने की सारी उम्मीद खत्म हो रही थीं। फेफड़ों का ट्रांसप्लांट व प्रत्यारोपण एक ऐसा ऑपरेशन होता है जिसमें जो मरीज ब्रेन डेड हो चुका होता है या कोमा में जा चुका होता है, उसका फेफड़ा निकालकर इस मरीज को लगाया जाता है। इसी को फेफड़ों का ट्रांसप्लांट बोलते हैं।

इस कड़ी में उक्त मरीज यूनिवर्सल अस्पताल में हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेश जैन से मिला। डा. शैलेश जैन ने अपनी टीम जिसमें हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रहमान, फेफड़ा रोग विशेषज्ञ फिजिशियन डॉ. संजीव, फिजियोथेरेपिस्ट, गायडियिशन व अन्य विशेषज्ञों ने पाया कि मरीज का हृदय सामान्य रूप से कार्य कर रहा है। अगर उसका फेफड़ा प्रत्यारोपण हो जाए तो मरीज की जान बच सकती है और उसकी ऑक्सीजन के ऊपर जो निर्भरता है वह भी खत्म हो सकती है।

लेकिन अभी यूनिवर्सल अस्पताल में फेफड़ा प्रत्यारोपण की अनुमति नहीं है इसलिए यह आपरेशन यूनिवर्सल अस्पताल ने दिल्ली के एक अस्पताल में गत 22 जनवरी को करवाया, जिसके बाद मरीज को पुन: यूनिवर्सल अस्पताल में लाया गया। पिछले एक माह से ज्यादा समय से अस्पताल में उपचाराधीन मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और मरीज बिना ऑक्सीजन के सांस ले पा रहा है। अच्छी बात यह है कि मरीज तेजी से रिकवरी कर रहा है जिसके चलते उसे शीघ्र ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

डा. शैलेष जैन ने बताया कि लंग ट्रांसप्लांट होने के बाद मरीज की पूर्ण रिकवरी में तीन से छह महीने लगते हैं, जिसमें हम पहले छह हफ्ते चाहते हैं कि मरीज कोई भी भारी काम या कोई भारी वजन उठाना या स्कूटर-मोटरसाइकिल चलाना ऐसे कार्य न करे। इसके अंदर खास बात यह रहती है कि किसी दूसरे का लंग आपके फेफड़े में लगाया जाता है तो उसे आपकी बॉडी रिजेक्ट करने की कोशिश करती है, जिसे रिडेक्शन कहा जाता है। अस्पताल की एमडी डॉ. रीति अग्रवाल ने इस ऐतिहासिक सफलता के लिए अस्पताल की पूरी टीम को बधाई दी।