April 25, 2024

विश्व अस्थमा दिवस पर किए गए विशेष कार्यक्रम आयोजित

Faridabad/AliveNews : राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एनआईटी तीन की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में विश्व अस्थमा दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रधानाचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि अस्थमा फेफड़ों की बीमारी है। जिसमें सांस लेने में कठिनाई होती है और पीड़ितों को अलग-अलग स्तर तक प्रभावित करती है। अस्थमा ब्रोन्कियल ट्यूबों में सूजन आने के कारण होता है।

कभी-कभी एलर्जी, व्यायाम, तनाव या तापमान में बदलाव से यह तेज हो जाता है। विश्व अस्थमा दिवस पीड़ा से राहत और मौतों को कम करने की आशा में स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2021 तक भारत में लगभग 1.5 से 2 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित थे

ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा ने 2022 विश्व अस्थमा दिवस की थीम अस्थमा की देखभाल के अंतर को कम करना चुना है। अर्थात क्लोजिंग गैप इन अस्थमा केयर, अस्थमा वायुमार्ग में सूजन की बीमारी है। इसकी वजह से सांस की नली में सूजन हो जाती है। जिसकी वजह से फेफड़ों से हवा को बाहर लाना मुश्किल हो जाता है। इससे रोगी को सांस फूलने, घरघराहट, सीने में जकड़न और खांसी जैसी समस्याएं होने लगती हैं। प्राथमिक चिकित्सा के सर्व मास्टर ट्रेनर प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि अस्थमा सांस से जुड़ी एक पुरानी बीमारी है।

इससे फेफड़ों में वायुमार्ग में सूजन हो सकती है जिससे हवा को अंदर और बाहर ले जाना कठिन हो सकता है। अस्थमा का दौरा तब पड़ता है जब ये लक्षण बढ़ जाते हैं जिस से सांस लेना बहुत कठिनाई भरा हो जाता है। अस्थमा अटैक आने पर आप स्वयं प्राथमिक चिकित्सा के अंतर्गत निम्न प्रकार से चिकित्सा सहायता प्राप्त होने तक जीवन रक्षक उपाय अपना सकते है। अस्थमा अटैक का आभास होने पर आप सीधे बैठ जाएं और शांत रहने का प्रयास करें। प्रत्येक 30 से 60 सेकंड में एक रिलीवर या रेस्क्यू इनहेलर का एक पफ लें जिसमें अधिकतम 10 पफ हों। यदि लक्षण ठीक नहीं हो रहे हैं या 10 पफ के बाद भी सुधार नहीं हो रहा, तो इमरजेंसी मेडिकल हेल्प लें।