April 27, 2024

युवाओं का सर्वांगीण विकास हो रहा है: डॉ कृष्ण कान्त

Faridabad/Alive News: अग्रवाल महाविद्यालय के प्राचार्य कृष्णकान्त गुप्ता कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में पंच प्राण के मंत्र की घोषणा की थी। इसी कड़ी में नेहरू युवा केंद्र संगठन फरीदाबाद (खेल मंत्रालय भारत सरकार) के निर्देशानुसार अग्रवाल महाविधायल के तत्वाधान में स्त्री शक्ति पहल समिति संस्था के द्वारा आज अग्रवाल महाविद्यालय, बल्लभगढ़ में ’युवा संवाद इंडिया-2047’ कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य कृष्णकान्त गुप्ता एवं स्त्री शक्ति पहल समिति संस्था की अध्यक्ष पूनम सिनीवर व आए सभी वक्तागणों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर सभी अतिथियों का पौधा भेट कर स्वागत किया गया।

अग्रवाल महाविद्यालय फरीदाबाद के प्राचार्य ने कहा कि देश में विकसित भारत का निर्माण, गुलामी की सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता एकजुटता व नागरिक कर्तव्य। इसके तहत पांच प्रतियोगिताएं युवा उत्सव के तहत की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजन और सरकार का यही लक्ष्य है कि युवाओं में जो प्रतिभा भरी है उन को निखारने का अवसर प्रदान किया जाए। अच्छे परिणाम के साथ बच्चे आगे बढ़े और देश का नाम रोशन करें।

पंच प्राण मंत्रों के संवाद में अलग अलग वक्ताओं ने अपने विचार युवाओ के समक्ष प्रस्तुत कर युवाओ के साथ संवाद किया जिसकी जानकारी निम्न प्रकार से है।

अग्रवाल महाविद्यालय बल्लभगढ़ से सहायक प्रवक्ता डॉ. पूजा सैनी ने पंच प्रण में से एकता एवं एकजुता अपने विचार रखे तथा साथ ही युवाओं के साथ संवाद किया l उन्होंने युवा वर्ग को एक होकर रहने का तथा वसुधैव कुटुम्बकम् के महामंत्र को अपनकर अपनी संस्कृति एवं सभ्यता को पहचानकर फिर से एक जुट होकर कार्य करने पर के लिए संकल्पित कराया l

वक्ता पूनम के द्वारा युवाओं को गुलामी की हर सोच से मुक्ति पर जानकारी दी गई जिसमे उन्होंने अपने वक्तव्य मे युवाओ को संभोदित करते हुए कहा की गुलामी से भी ज्यादा गुलामी की सोच और प्रतीक अत्यंत पीड़ादायक होती है। गुलामी के प्रतीक हमारे दासता के घाव को कभी भरने नहीं देते साथ में गुलामी के प्रतीक का नामकरण हमारे स्वाभिमान को तार-तार करने वाले होते हैं।

आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर वर्तमान प्रधानमंत्री ने अमृत काल के पंच प्रण किए थे उसे सिर्फ बोलने तक नहीं वरन वास्तविक धरातल पर भी कार्यान्वित किया जा रहा है जैसे अंडमान द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण देश के लिए बलिदान करने वाले भारतीय सेना के परमवीरों के नाम पर करने की घोषणा किए हैं साथ ही इंडिया गेट से जॉर्ज पंचम की प्रतिमा हटाकर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित की गई है। ऐसे और भी अनेक परिवर्तन किए जा रहे हैं जिससे अगले 25 वर्ष में दासता की भावना को समाप्त कर के एक नए भारत का निर्माण किया जा सके।

अपनी विरासत पर गर्व के वक्त नन्द किशोर ने युवाओ को संभोदित करते हुए बताया की भगवान श्रीराम के जीवन एवं उनके आदर्श मूल्यों से विद्यार्थियों को अवगत कराया। इसमें उनके त्याग, समर्पण और साहस के उदाहरण प्रस्तुत किये और वर्तमान पीढ़ी को सचेत रहने के लिए कहा।

अलयां क्लब उड़ान की अध्यक्ष तान्या लूथर ने अपने वक्तव्य मे नागरिक कर्तव्यों तथा विकसित भारत पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया की भले ही किस प्रकार से भले ही स्वरूप नागरिक कर्तव्यों के बदलते रहेते है। परंतु नागरिक कर्तव्यों की उपस्थिति हमेशा रहेती है, संविधान के भाग 4 मे नागरिक कर्तव्य दिए गए है जिन्हे हमारे देश के प्रत्येक युवा को पढ़ कर अपने नागरिक कर्तावों को जन कर समाज के प्रति अपना निर्वहन करना चाहिए।

कार्यक्रम संयोजक पूनम सिनीवर ने युवाओ को सम्बोधित करते हुए बताया की युवा संवाद इंडिया…2047 का आयोजन भारत के समस्त जनपदों में किया जा रहा है कार्यक्रम की थीम प्रधानमंत्री द्वारा लाल किले की प्राचीर से दिए गए पंचप्राण है।

उन्होंने युवाओ को संबोधित करते हुए यह भी बताया की नेहरू युवा केंद्र संगठन के द्वारा समय समय पर युवाओ के सर्वांगीण विकास से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जहा आज युवा संवाद कार्यक्रम किया जा रहा है। वही अब इसके बाद संगठन द्वारा जिले, प्रदेश व देश स्तर पर युवाओ के सहयोग से “मेरा देश मेरी माटी” कार्यक्रम मे भी युवाओ द्वारा अपनी अपनी सहभागिता अदा की जा रही है।

कार्यक्रम में लगभग 200 से 250 युवा एवं युवतियों ने भाग लिया। सभी प्रतिभागी युवाओ को भारत सरकार के युवा एवं खेल मंत्रालय के अंतर्गत सर्टिफिकेट प्रदान किये गए।

इस अवसर समस्त महाविद्यालय के अध्यापकगण, डॉ पूजा सैनी, गौरव ठाकुर, राहुल वर्मा, जज्बा फाउंडेशन चेयरमैन हिमांशु भट्ट, केशव गौर, विजयपाल, राष्ट्रीय सेवा योजना (एन.एस.एस) की सभी इकाइयों के समस्त स्वयं सेवक आदि मौजूद रहे।