New Delhi/Alive News: आज विश्व सोरायसिस दिवस है। ये एक ऑटोइम्युन बीमारी है। यह छूने से नहीं फैलती। सोरायसिस के मरीजों के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए। सोरायसिस के इलाज के लिए अच्छी दवाएं उपलब्ध हैं। तनाव लेने से बीमारी बढ़ती है। विश्व सोरायसिस दिवस की थीम इस बार ‘मानसिक स्वास्थ्य सुधार’ रखी गई है। 29 अक्तूबर को विश्व सोरायसिस दिवस मनाया जाएगा।
मिली जानकारी के अनुसार ऑटोइम्यून बीमारी वह होती हैं। जिनमें हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमारी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला कर देती है। सोरायसिस की बीमारी में त्वचा के साथ जोड़ों में भी दर्द होता है। सोरायसिस सिर से लेकर पैर तक शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यहां तक की नाखून में भी समस्या हो जाती है। इस बीमारी में त्वचा में नमी की कमी हो जाती है और त्वचा पर एक मोटी परत जमने लगती है, जो कि लाल या भूरे रंग की होती है। खुरदरी होकर त्वचा से छिलके निकलते हैं। इस बीमारी में हर वक्त खुजली होती रहती है। करीब एक फीसदी लोग देश में इस बीमारी से पीड़ित हैं।
उन्होंने बताया कि सोरायसिस से ग्रसित मरीज में प्रोटीन की कमी होने लगती है। व्यक्ति को कमजोरी और थकान महसूस होती है। व्यक्ति मानसिक रूप से भी बीमार होने लगता है। तनावग्रस्त होने लगता है। सोरायटिक आर्थराइटिस में जोड़ों में दर्द होता है।
मरीज इसका रखें ख्याल
तनाव लेने से बचें। सोरायसिस की अच्छी दवाएं उपलब्ध हैं। शरीर में नमी के लिए पर्याप्त पानी पीयें, हरी सब्जी खूब खाएं। मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल लगातार करते रहें। तनाव को दूर करने के लिए योग, ध्यान और व्यायाम करें। अल्कोहल का सेवन नहीं करें, इससे भी बीमारी बढ़ती है। अपने मन से इलाज न करें, लक्षण दिखें तो डॉक्टर के पास जाएं।