Faridabad/ Alive News: मनुष्य अपनी बुद्धि से कई तरह के आविष्कार और नई रचनाओं को जन्म देता है। उन विशेष आविष्कारों पर उसका पूरा अधिकार भी है। लेकिन उसके इस अधिकार का संरक्षण हमेशा से चिंता का विषय भी रहा है। यहीं से बौद्धिक संपदा और बौद्धिक संपदा अधिकारों की बहस प्रारंभ होती है। यदि हम मौलिक रूप से कोई रचना करते हैं और इस रचना का किसी अन्य व्यक्ति द्वारा गैर कानूनी तरीके से अपने लाभ के लिये प्रयोग किया जाता है तो यह रचनाकार के अधिकारों का स्पष्ट हनन है।
राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में बौद्धिक संपदा के संरक्षण पर ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार दिये जाने का मूल उद्देश्य मानवीय बौद्धिक सृजनशीलता को प्रोत्साहन देना है।
बौद्धिक संपदा अधिकारों का क्षेत्र व्यापक होने के कारण यह आवश्यक माना गया कि क्षेत्र विशेष के लिये उसके संगत अधिकारों एवं संबद्ध नियमों आदि की व्यवस्था की जाए। उन्होंने बताया कि विश्व बौद्धिक संपदा दिवस नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन, कॉपीराइट आदि की भूमिका के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए मनाया जाता है।
व्यक्ति अथवा संस्था को अपनी इन कृतियों पर प्राप्त अधिकार को बौद्धिक संपदा अधिकार कहा जाता है। बौद्धिक संपदा अधिकार, मानसिक रचनाएं, कलात्मक और वाणिज्यिक, दोनों के संदर्भ में विशेष अधिकारों के समूह हैं। नवीन और सृजनात्मक क्षमता को विश्व व्यापार संगठन की बौद्धिक सम्पत्ति प्रणाली के तहत सुरक्षित रखा जाता है। इस तथ्य को मानते हुए भारत ने विश्व व्यापार संगठन का एक संस्थापक सदस्य होने के नाते व्यापार संबंधी बौद्धिक सम्पत्ति अधिकारों से संबंधित करार का अनुसमर्थन किया है।
प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि विद्यालय की एक्टिविटीज कॉर्डिनेटर जसनीत कौर एवम छात्राओं स्नेहा, राधा गुप्ता, आरती, महविश और श्वेता ने वर्चुअल पोस्टर बना कर बौद्धिक संपदा के संरक्षण के बारे में बताया। रविंद्र कुमार मनचंदा ने छात्राओं और अध्यापकों का स्वयं जागरूक होने और दूसरों को जागरूक करने के लिए आभार प्रकट किया।