September 28, 2024

19 जून को नेशनल रीडिंग डे क्यों मनाया जाता है, पढ़िए खबर

Alive special: हर साल 19 जून को नेशनल रीडिंग डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। ये दिन केरल के टीचर पी.एन. पणिक्कर के सम्मान में मनाया जाता है। पी.एन. पणिक्कर को केरल के ‘लाइब्रेरी मूवमेंट’ का जनक कहा जाता है। पुथुवयिल नारायण पणिक्कर की मृत्यु 19 जून 1995 को हुई थी। उनकी डेथ के अगले ही साल यानी साल 1996 से इस दिन को इस लीजेंड को सम्मान देने के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इतना ही नहीं केरल की एजुकेशन मिनिस्ट्री 19 से 25 जून के बीच को वयन वरम यानी पढ़ने का वीक के रूप में भी सेलिब्रेट करती है।

नेशनल रीडिंग डे का इतिहास-
इस दिन के इतिहास के बारे में जानने के लिए हमें पी.एन. पणिक्कर के विषय मे जानकारी करनी होगी। इनका जन्म 1 मार्च 1909 के दिन नीलमपुर में हुआ। उनकी मां का नाम जानकी और पिता का नाम गोविंदा पिल्लाई था। केरल में उन्हें विशेष सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है क्योंकि उन्हें यहां के लाइब्रेरी मूवमेंट का जनक कहा जाता है। साल 1926 में पी.एन. पणिक्कर ने अपने होमटाउन में सनातनधर्म पुस्तकालय की शुरुआत की। इस समय में शिक्षण का कार्य करते थे। 19 जून को उनकी मृत्यु हुई और इस दिन को उनकी पुण्यतिथि के रूप में 1996 से सेलिब्रेट किया जाता है।

बाद में बनीं कई लाइब्रेरी-
1945 में पहली लाइब्रेरी बनने के बाद कई सालों तक कोई नई लाइब्रेरी नहीं बनी। इसके बीस साल बाद उन्होंने थिरुविथमकूर ग्रंथशाला संघ के माध्यम से त्रावणकोर लाइब्रेरी एसोसिएशन का नेतृत्व किया, जिसमें 47 लोकल लाइब्रेरी शामिल थी। इस क्लब ने ‘रीड एंड ग्रो’ स्लोगन के साथ लोगों को किताबों के महत्व के बारे में जागरूक किया।

सौ प्रतिशत साक्षरता के लिए किया योगदान-
साल 1990 में केरल को सौ प्रतिशत साक्षर राज्य घोषित किया गया था। इसके पीछे पी.एन. पणिक्कर और उनके लाइब्रेरी मूवमेंट की अहम भूमिका रही। केरल में पढ़ने की संस्कृति उन्होंने ही विकसित की। इसीलिए यहां नेशनल रीडिंग डे के मौके पर केवल एक दिन सेलिब्रेशन नहीं होता बल्कि पूरे हफ्ते तमाम तरह के छोटे-बड़े सेलिब्रेशन होते हैं। ये राज्य न केवल उनकी लीगेसी का जश्न मनाता है बल्कि आज भी पढ़ने-पढ़ाने के महत्व को विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से उजागर करता है।

पुरस्कार भी मिला है-
साल 1956 में केरल राज्य बनने के बाद संघ केरल ग्रंथशाला संघ बन गया. पी.एन. पणिक्कर अथक प्रयासों के दम पर करीब 6 हजार लाइब्रेरीज को अपने नेटवर्क में शामिल कर पाए। इतनी ही नहीं साल 1975 में इसे प्रतिष्ठित यूनेक्सको कुप्रसकाया पुरस्कार मिला। साल 1977 में स्टेट गर्वनमेंट ने इसे अपने हाथ में लिया। उसके पहले 30 साल से भी ज्यादा समय तक पी.एन. पणिक्कर इसके जनरल सेक्रेटरी रहे।