May 5, 2024

ऑनलाइन क्लासेज से 75 प्रतिशत छात्र हैंडराइटिंग स्पीड भूले, स्कूल संचालकों ने कहा कर रहे हैं स्पैलिंग मिस्टेक

Poonam Chauhan/Alive News
Faridabad :
कोरोना काल में लंबे समय तक ऑनलाइन पढ़ाई करने की वजह से बच्चों की हैंडराइटिंग कमजोर हो गई है। यानी बच्चों में लिखने की क्षमता पहले के मुकाबले कम हो गई है। स्टूडेंट्स में स्पेलिंग्स की गलतियां भी पहले के मुकाबले बढ गई हैं। घर में माता-पिता और स्कूल में टीचर परेशान हैं कि बच्चों पर ज्यादा मेहनत हैंडराइटिंग ठीक कराने पर की जाए या फिर राइटिंग स्पीड बढ़ाने पर की जाये।

पिछले 2 सालों में ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चे मोबाइल और कम्प्यूटर का की-बोर्ड चलाना तो सीख गये, लेकिन पेंसिल-पेन चलाना भूल गये। की-बोर्ड के शॉर्टकट तो याद हो गये लेकिन अब साफ-सुथरी लिखावट और तेज लिखने की सैली भूल गये। अब नोटबुक की जगह लैपटॉप और पेंसिल की जगह की-बोर्ड वाली पढ़ाई ने हैंडराइटिंग का हाल खराब कर दिया।

हैंडराइटिंग एक न्यूरो मस्कुलर एक्ट है यानी जितना लिखा जाएगा उतनी ही राइटिंग अच्छी होगी और स्पीड तेज होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चे अपने स्कूल के शुरुआती दिनों में जो ब्लैक बोर्ड पर देखते हैं, वही हूबहू कॉपी करने की कोशिश करते हैं। लंबे वक्त से ना लिखने की वजह से बच्चों की मांसपेशियां अब आराम के मोड में आ चुकी हैं।

लिखावट को लेकर एनसीइआरटी के सर्वे की रिपोर्ट
एनसीइआरटी की ओर से किए गए एक सर्वे के मुताबिक, कोरोना काल में भारत के 75 प्रतिशत बच्चों की हैंडराइटिंग पहले से कमजोर हो चुकी है। ये बच्चे किसी सवाल का जवाब बोलकर तो बता सकते हैं। अगर, उत्तर उन्हें लिखना पड़े तो अब पहले की तुलना में समय भी ज्यादा ले रहे हैं और वो स्पष्ट रूप से अपनी पूरी बात भी नहीं लिख पा रहे।

कब से कब तक का है सर्वे
ये सर्वे मार्च 2020 से फरवरी 2021 के बीच किया गया, जिसमें चौथी कक्षा से 10वीं कक्षा के 10 हजार बच्चे शामिल थे। ये सर्वे सरकारी और प्राइवेट दोनों स्कूलों पर किया गया है। इसमें बताया गया है कि देश के लगभग 65 प्रतिशत छात्रों की लिखने की आदत अब पूरी तरह छूट चुकी है। इसका सबसे बड़ा कारण ऑनलाइन क्लास को माना जा रहा है। कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास के दौरान बच्चों को पीडीएफ फाइल्स पर काम करना होता था। वे अपने मोबाइल फोन, लैपटॉप और कंप्यूटर पर ही नोट्स लिख लेते थे। जिसका उनकी लेखनी पर सीधा असर पड़ा।

अध्यापक और अभिभावकों के लिए नई चुनौती तैयार
दो साल के लॉकडाउन ने बच्चों की पढ़ने लिखने की आदतें बदल दी हैं। इसका अहसास तब हुआ, जब इस हफ्ते स्कूल खुले और बच्चे कॉपी किताब, पेन-पेंसिल लेकर स्कूल पहुंचे। कुछ तो क्लास रुम में टिककर बैठ नहीं पा रहे तो ज्यादातर बच्चों की लिखने की आदत ही छूट गई। मोतियों जैसे अक्षरों की जगह आड़ी तिरछी हैंडराइटिंग लिख रहे बच्चे और उनके माता पिता अब इस नई चुनौती से दो चार हो रहे हैं।

बोर्ड परीक्षा में बैठने वाले बच्चे परेशान
कोविड की वजह से हैंड राइटिंग खराब होने से सबसे ज्यादा परेशान इस साल बोर्ड की परीक्षा देने वाले बच्चे हैं। 2 वर्षों में लिखने की आदत छूट गई है। स्कूल खुलने के बाद लिखना शुरु तो किया है लेकिन हैंडराइटिंग खराब भी है और लिखावट की रफ्तार भी धीमी है। यानी तय समय में अच्छी हैंडराइटिंग के साथ पेपर हल करना चुनौती बन रही है।

क्या कहना है स्कूल संचालकों का

कोविड के लम्बे अंतराल के बाद स्कूल खुलने पर बच्चों के साथ डील करना कठिन हो रहा है। बच्चों को एक्स्ट्रा क्लासेज मुहैया कराई जा रही हैं। रेगुलर पीरियड से हटकर बच्चों की एक्स्ट्रा दो क्लास पीछे के बेस को क्लियर करने के लिए लगाई जा रही है और बेसलाइन टेस्ट लिया जाएगा। उस हिसाब से बच्चों को आगे प्रमोट किया जाएगा। आज के समय में बड़ीक्लास के बच्चों का मेंटल लेवल थर्ड क्लास के हिसाब से है, परन्तु बच्चा छठी क्लास में आ गया है तो टीचर को काफी परेशानी हो रही है।

-सुदेश भड़ाना, प्रिंसिपल डायरेक्टर-आइडियल स्कूल, शिव दुर्गा विहार फरीदाबाद।

बच्चों के बिहेवियर से लेकर उनके मेंटल लेवल तक सब कुछ बदल चुका है। बच्चे क्लास रूम में बैठना तक भूल गए हैं, उन्हें घर जैसा आराम चाहिए। बच्चे लिखना-पढ़ना पूरी तरह से भूल गए हैं, बच्चों की हैंड राइटिंग काफी खराब होने के साथ ही स्पेलिंग मिस्टेक्स भी बहुत हो रही हैं। अध्यापक और अभिभावकों के लिए बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो चुका है, परन्तु, अध्यापक और अभिभावकों को संयम रखने की जरूरत है। बच्चें लगातार स्कूल आ रहे हैं तो प्रैक्टिस के साथ सब कुछ ठीक हो रहा।

-हिमांशु तंवर, डायरेक्टर- तरुण निकेतन स्कूल, पल्ला फरीदाबाद।