November 5, 2024

8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, पढ़िए महिलाओं के संघर्ष की कहानी

New Delhi/Alive News: हर साल की तरह इस साल भी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस आठ मार्च को मनाया जा रहा है। इस बार जहां एक तरफ भारत होली के रंग में रंगा हुआ है तो दूसरी तरफ भारत समेत पूरी दुनिया बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस और इसके महत्व तथा शुरुआत के विषय में जानकारी देंगे।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाने और अधिकारों की प्रगति का वार्षिक कार्यक्रम है। इसकी शुरुआत 20वीं सदी में अमेरिकी समाजवादी और श्रमिक आंदोलनों से हुई थी। उस समय महिलाएं काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने के अधिकार के लिए लड़ रही थी। 1911 में महिला दिवस का पहला उत्सव मनाया गया था। इस दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में दस लाख से भी अधिक लोगों ने महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करने के लिए रैलियां निकाली थीं। 1977 में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता दी गई। तभी से संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाना शुरू किया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल आठ मार्च को मनाया जाता है। साल 1917 में रूसी महिलाओं ने रोटी और शांति की मांग के लिए विरोध प्रदर्शन के साथ किया था। इस विरोध प्रदर्शन की वजह से तत्कालीन रूसी जार को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। अंतरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार भी दिया। जिस दिन रूसी महिलाओं ने इस प्रदर्शन की शुरुआत की थी, वह दिन रूसी कैलेंडर के हिसाब से 23 फरवरी (रविवार) था। यदि इस तारिख को ग्रेगॉरियन कैलेंडर के हिसाब से देखा जाए तो वह दिन आठ मार्च का था। तब से इसी दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का नाम दिया गया।

महिला दिवस की थीम
इस साल यूएन की थीम- डिजिट ऑल: इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फॉर जेंडर इक्वीलिटी है। यूएन के अनुसार पुरुषों की तुलना में 259 मिलियन कम महिलाएं इंटरनेट का उपयोग कर पाती हैं। महिलाओं को विज्ञान, गणित, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के करियर में बड़े पैमाने पर कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है। ऐसे में महिलाओं की जरूरतों को पूरा करने के साथ लैंगिग समानता को बढ़ावा देने के लिए इस थीम को चुना गया है।

महिला दिवस का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को बराबर का दर्जा प्राप्त करवाना है, जिससे उन्हें किसी भी अधिकार से वंचित न किया जाए। उनके साथ किसी भी क्षेत्र में भेदभाव न किया जाए। इस खास अवसर पर महिलाओं के अधिकारों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम और कैंपेन भी आयोजित किए जाते हैं। हाल के कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को महिलाओं के साथ ट्रांसजेंडर, नॉन-बाइनरी और जेंडर नॉन-कन्फर्मिंग लोगों के लिए अधिक समावेशी बनाने पर जोर दिया गया है।