May 18, 2024

रेडियो दिवस पर फरीदाबाद के वयोवृद्धों ने साझा किया अपना अनुभव

Faridabad/Alive News: आज का युग आधुनिक युग है। आधुनिकता के इस दौर में कई चीजे पीछे छूट गई है। इनमें रेडियो भी शामिल है। रेडियो बेशक आज संचार का पुराना माध्यम हो गया हो लेकिन अपने दौर में रेडियो लोगों के जीवन में बहुत अहमियत रखता था। फिर चाहें लोगों तक सूचना पहुंचाने का कार्य हो या मनोरंजन। लोग इसे कांधे पर बिठाए मधुर गीत सुनते हुए पूरे गांव का भ्रमण करते थे। 13 फरवरी को वर्ल्ड रेडियो डे मनाया जाता है। इस वर्ष वर्ल्ड रेडियो डे की थीम रेडियो एंड ट्रस्ट है।

आज रेडियो पुराना माध्यम हो गया है लेकिन अब भी संचार के लिए इसका इस्तेमाल होता है। इसके अलावा 1946 में इसी दिन यूनाइटेड नेशंस रेडियो से पहली बार प्रसारण हुआ था। औपचारिक रूप से पहला विश्व रेडियो दिवस 2012 में मनाया गया। स्पेन रेडियो अकैडमी ने 2010 में पहली बार इसका प्रस्ताव रखा था। 2011 में यूनेस्को की महासभा के 36 वें सत्र में 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस घोषित किया गया।

13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस के तौर पर यूनेस्को की घोषणा को संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 14 जनवरी, 2013 को मंजूरी दी। इसके बाद 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाने लगा। वर्तमान समय में रेडियो का प्रयोग काफी कम हो गया है, लोग सोशल मीडिया, टेलीविजन आदि का प्रयोग सूचना, मनोरंजन के लिए करते है। लेकिन आज भी रेडियों को लेकर वयोवृद्धों में उत्सुकता है जिसे उन्होंने अलाइव न्यूज के साथ साझा किया जो इस प्रकार है……..

वयोवृद्धों ने साझा किया अपना अनुभव
जब तत्कालिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया तब इसकी सूचना हमें रेडियों के माध्यम से मिली थी। उस दौर में रेडियो संचार की सशक्त माध्यम था। मैं किसान परिवार से हूं और खेती तथा मौसम संबंधित जानकारी भी रेडियो के माध्यम से मिलती थी। आज देश में रेडियो का प्रचलन कम हो गया है।
-चौधरी सबरजीत सिंह फौजदार।

पहले रेडियो पर बिनाका गीतमाला नाम से एक प्रोग्राम आता था। प्रोग्राम हर बुधवार को रात 8 बजे से 9 बजे के बीच आता था, इसमें पुराने फिल्मी गाने आते थे। इस प्रोग्राम को सुनने के लिए आस-पास तथा घर के सभी लोग अपना काम खत्म करके तैयार रहते थे। आज के इस आधुनिक दौर में सबके घर में टेलीविजन है। लोगों के पास एक-दूसरे के लिए समय नही है। उस समय इसी बहाने पूरा परिवार साथ रहता था।

रविंद्र चावला।

इंदिरा गांधी की सरकार में इमरजेंसी की घोषणा हुई थी, इस बात की जानकारी रेडियो के माध्यम से ही मिली। अगले दिन ही रेडियो पर इंदिरा की आवाज में संदेश भी सुनाया गया था। उस दौर में रेडियो के माध्यम से ही सूचना लोगो तक पहुंचती थी।

-ठाकुर दास।

जब पहली बार घर में रेडियो आया तो एक गाना उसमें बज रहा था। गाने के बोल उस समय के हिसाब से एडवांस थे, यह सुनकर मेरे दादाजी ने रेडियों पर डंडा मार दिया था और यह कहा था कि ये किस तरह के गीत सुने जा रहे है वहीं ऑल इंडिया रेडियो के पहले ऑफिस में मेरा जाना हुआ था। तब पहली बार मैने रेडियो की कार्यशैली देखी थी, मैं काफी हैरान हुआ था कि किस तरह से आवाज एक स्थान से दूसरे स्थान चली जाती है।
-पद्मश्री डॉ ब्रहमदत्त।