November 17, 2024

आज है योगिनी एकादशी व्रत, जानें पूजा विधि और महत्व

हिन्दू पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत 5 जुलाई सोमवार के दिन रखा जाएगा। यह व्रत प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त योगिनी एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें कुष्ठ या कोढ़ रोग से मुक्ति मिलती है एवं उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही उन्हें वैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। लेकिन इस व्रत का वास्तविक फल पाने के लिए व्रत रखने वाले लोगों को कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। यह व्रत भले ही एकादशी के दिन रखा जाता है, किंतु व्रत का पालन दसवीं की शाम से लेकर द्वादशी की सुबह तक किया जाता है। व्रत के नियम दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद से ही लागू हो जाते हैं। व्यक्ति को भोजन दशमी को सूर्यास्त से पहले ही ग्रहण करना होता है, इसके बाद व्रत शुरू होता है और द्वादशी के दिन पारण करने तक चलता है।

योगिनी एकादशी व्रत का महत्व
योगिनी एकादशी व्रत का महत्व इस लिए और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि योगिनी एकादशी व्रत के बाद देवशयानी एकादशी आती है। मान्यता है कि देवशयानी एकादशी के बाद भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। वहां वे 4 मास तक आराम करते हैं। इसी लिए इस मास को चौमासा या चातुर्मास कहा जाता है, इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। माना जाता है कि चातुर्मास में कोई शुभ कार्य करने से शुभ फल नहीं मिलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत का महत्व बतलाते हुए कहा है कि यह व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर फल मिलता है।

पूजा विधि
योगिनी एकादशी व्रत के दिन प्रात: काल स्नान आदि से निवृत होकर पीला वस्त्र धारण करें, उसके बाद पूजा की चौकी पर पीले रंग के आसन पर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। अब व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें तथा उनके चरणों में पीले फूल, फल, हल्दी, तुलसी दल, अक्षत्, पीले वस्त्र, धूप, दीप, पंचामृत आदि अर्पित करें। अब विष्णु चालीसा या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। अंत में आरती करें और पूरा दिन फलाहारी व्रत रखकर अगले दिन इसी प्रकार की पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें।