May 2, 2024

आज फरीदबाद में आइए‌मए ने बंद रखी ओपीडी सेवाएं, डीसी को सौंपा ज्ञापन

Faridabad/Alive News : 18 जून को आइए‌मए फरीदाबाद के डॉक्टरों ने नेशनल और स्टेट आईएमए के आह्वान पर पूरे फरीदाबाद में ओपीडी सेवाएं बंद रखी गयी। इस दौरान एक ज्ञापन डीसी यशपाल यादव को डॉ. पुनिता हसीजा, डॉ. सुरेश अरोड़ा, डॉ. अजय कपूर, डॉ. शिप्रा गुप्ता, डॉ. संजय टुटेजा, डॉ. वंदना उप्पल, डॉ. हेमंत अत्री, डॉ. सुनिल कश्यप द्वारा दिया गया। आइए‌मए के डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री के नाम भी एक ज्ञापन भेजा है।

बता दें, कि डॉक्टरों के ऊपर पहले भी की कई वारदातें हुई है। लेकिन प्रशासन द्वारा इसके खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं लिया है। आईएमए के डॉक्टर चाहते है कि उनकी सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून बनाया जाना चाहिए। जिसके तहत देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में अगर किसी भी प्रकार से डॉक्टर के खिलाफ या नर्सिंग होम या हॉस्पिटल में कोई भी हिंसा होती है तो तुरंत हिंसा करने वालों के खिलाफ केस दर्ज होना चाहिए और यह केस फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलाया जाना चाहिए। अस्पतालों को एक सुरक्षित स्थान घोषित किया जाना चाहिए व सुरक्षा के मानक घोषित किये जाने चाहिए ।

डॉ. सुरेश अरोड़ा ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान जब कुछ डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की घटनाएं देखी गई तो केंद्रीय सरकार ने एपिडेमिक एक्ट के अंदर कुछ बदलाव करके एक कानून बनाया जिसमें हिंसा करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। लेकिन यह बदलाव सिर्फ महामारी के दौरान ही लागू रहेगा। डॉक्टरों का कहना है कि सरकार को यह कानून हमेशा के लिए लागू कर देना चाहिए, ताकि सभी डॉक्टर भयमुक्त होकर अपना काम कर सकें।

उन्होंने आगे बताया कि कुछ राज्यों में यह एक्ट बना कर लागू किया भी गया है, लेकिन इसके बारे में वहां की पुलिस इसको गहन तरीके से नही लेती। क्योंकि यह कानून के रूप में नहीं है और सीआरपीसी में नहीं आता है। एक बार यह केंद्रीय कानून बन जाएगा तो यह सीआरपीसी के अधीन आ जाएगा और पुलिस की जानकारी में आने के साथ यह पूरी तरह से असरदार होगा।

केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इस को कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन उस समय होम मिनिस्ट्री ने इस पर ऑब्जेक्शन लगाकर इसको रोक दिया था। डॉक्टरों ने प्रधानमंत्री को इसमें दखल देकर जल्द से जल्द इस कानून को लागु करवाने की मांग की है।
डॉ. पुनीता हसीजा ने बताया कि हिंसा की इन वारदातों को देखते हुए समाज में आगे आने वाले समय में इंटेलिजेंट बच्चों में डॉक्टर बनने की चाहत कम होती जा रही है और इससे समाज का ही अहित है। समाज को अच्छे डॉक्टर नहीं मिलेंगे और अच्छा इलाज नहीं हो पाएगा।