May 4, 2024

गुरू जी, कक्षा तक…आए कैसे ?

बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग

Poonam Chauhan/Alive News : खट्टर जी, क्या आपको नहीं दिखता हमारा स्कूल, क्या हमें पढऩे का अधिकार नही, फिर क्यों नहीं ठीक होता ये स्कूल…? ये हम नहीं बल्कि नंगला रोड़ पर बने राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला के नन्हे छात्र सीएम साहब से पूछ रहे हैं। छोटे बच्चों की मजबूरी तो देखिए जो गंदे पानी और कूडे के ढ़ेर पर पढऩे को मजबूर हैं। आपको बता दे कि नंगला रोड़ पर बने सरकारी प्राथमिक पाठशाला की स्थिति बद से बदतर बनी हुई है। स्कूल के चारो ओर गंदा पानी और कूडे का ढेर लगा रहता है।

इतना ही नही बच्चों को कीचड़ और कूडे के ढेर से होते हुए स्कूल में पहुंचना होता है क्योंकि स्कूल के प्रवेश द्वार पर ही क्षेत्र का पानी और आस-पास का कूड़ा जमा रहता है। क्षेत्र के पार्षद हों या फिर राज्य के शिक्षा मंत्री किसी को भी इन बच्चों की बेबसी नजर नहीं आती, हां यदि वोट बैंक की बात होती तो यहां राजनेताओं का जमावड़ा लगा रहता। जहां एक तरफ सरकार प्राथमिक स्कूलों में सुधार के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं ये स्कूल सरकार के दावो की पोल खोल रहा है। सरकार स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने और शिक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए ढ़ेरो अभियान चला रही है लेकिन ऐसी सुविधा से कैसे बढ़ेगी स्कूलों में छात्रों की संख्या, ये बहुत ही गम्भीर विषय है।

आपको बता दें, स्कूल के सामने से ही एयरफोर्स का नाला गुजरता है जोकि पहले ऑपन था, जिसमें आस-पास के क्षेत्र का गंदा पानी जाता था, लेकिन अभी कुछ सालों पहले एक निजी स्कूल के चलते पूर्व मंत्री द्वारा नाले को अंडरग्राउंड कर दिया गया। जिससे नाला बंद होने के कारण आस-पास के एरिया का गंदा पानी स्कूल के बाहर आकर जमा हो जाता है।

ऐसे में बच्चों को स्कूल टाईम में खाना-पीना और पढऩा कूडे के ढ़ेर पर ही करना पड़ रहा है। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि सरकार बच्चों के भविष्य ही नहीं उनके स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ कर रही है। गंदगी के ढेर पर बच्चों का बैठकर पढ़ाई करना मानो किसी बड़ी बीमारी को दावत देने जैसा लगता है। शिक्षा विभाग और स्वास्थ विभाग दोनो मिलकर बच्चों के स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रहे है।

– स्वास्थ्य विभाग के अनुसार


गंदे पानी और गंदगी से मलेरिया, डेंगू, उल्टी-दस्त और हैजा के साथ ही टाइफाइड जैसी भयानक बिमारियां होने का डर रहता है। हमारी तरफ से गंदे पानी में दवाईयों का छिडक़ाव कराया जाएगा और गंदे पानी को निकलवाना नगर निगम के अन्तर्गत आता है। –डॉ. रामभगत, मलेरिया विभाग।

निजी स्कूल सरकारी स्कूल पर भारी
राज्यमंत्री से अपनी नजदीकियां बताने वाले स्थानीय पार्षद और एक निजी स्कूल के संचालक दोनों एक ही है। बताया जा रहा है कि यह निजी स्कूल संचालक शुरू से ही राजनीतिक लोगों के साथ रहा और अपने प्रभाव के कारण प्राथमिक पाठशाला को यहां पहले से नही खुलने देना चाहता था, लेकिन पिछली सरकार में पूर्व मंत्री ने लोगों की मांग पर नगर निगम की जमीन पर इस स्कूल का निर्माण करा दिया, अब सत्ता निजी स्कूल संचालक के हाथ में है और वह नही चाहते कि यह स्कूल गरीब बच्चों को शिक्षा दे। क्योंकि जिसकी राज्यमंत्री से नजदीकियां और खुद पार्षद हो और ऊपर से पार्षदी का कार्यालय भी स्कूल में रही चल रहा हो, क्या उसे इस स्कूल की दशा दिखाई नही देती ?