November 16, 2024

NSG सदस्यता में भारत की एंट्री की उम्मीद खत्म, सियोल बैठक में नहीं बनी सहमति

नई दिल्ली : एनएसजी में सदस्यता को लेकर भारत की उम्मीद खत्म हो गई है। चीन समेत पांच देशों के विरोध के बाद इस साल भारत की एनएसए सदस्यता की उम्मीद खत्म हो चुकी है। चीन समेत पांच देशों ने भारत की एनएसजी सदस्यता का विरोध किया था। भारत की एनएसजी सदस्यता को लेकर चीन से की गई अमेरिकी अपील का भी उसपर कोई असर नहीं हुआ और वह भारत के एनपीटी पर साइन करने को लेकर अड़ा रहा। चीन ने अपने इरादे साफ कर दिया कि नियम-कानून एनएसजी के सदस्यों ने बनाए हैं, लिहाजा उन शर्तों का पालन होना चाहिए।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि हम समझते हैं कि एक देश ने प्रक्रियागत बाधाओं को लगातार उठाया । उसने कहा कि बड़ी संख्या में सदस्य देशों ने भारत की सदस्यता का समर्थन किया और भारत के आवेदन का सकारात्मक मूल्यांकन किया। हम उनमें से हर देश का धन्यवाद व्यक्त करते हैं । हमारी यह भी समझ है कि व्यापक भावना इस मामले को आगे ले की थी । भारत का मानना है कि उसके आवेदन पर जल्द फैसला व्यापक वैश्विक हित में है । एनएसजी में भारत की भागीदारी परमाणु अप्रसार को और मजबूत करेगी।

इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत के एससीओ सदस्य बनने पर शुक्रिया कहा है। पीएम मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि सभी एससीओ सदस्यों के साथ भारत की वार्ता एक ऐसा क्षेत्र बनाने में हमारी मदद करेगी जो अधिक स्थिर और आंतरिक रूप से सुरक्षित हो उन्होंने कहा है कि भारत के एससीओ सदस्यों के साथ पुराने संबंध है। आर्थिक समृद्धि के लिए एक-दूसरे से जुड़ना जरुरी है। भारत एशिया पैसिफिक में खुशहाली का समर्थन करता है। भारत हर क्षेत्र में एससीओ का सहयोग करता रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत समाजों को घृणा, हिंसा और आतंक की कट्टरपंथी विचारधाराओं के खतरों से बचाने के लिए एससीओ के साथ साझेदारी करेगा।

गौर हो कि 48 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की पूर्ण बैठक आज सोल में खत्म हो गई जिसमें भारत की सदस्यता मुहिम पर कोई फैसला नहीं किया गया, क्योंकि गैर परमाणु अप्रसार संधि वाले सदस्यों को मंजूरी देने को लेकर मतभेद थे और चीन भारत की मुहिम का विरोध करने वाले देशों का नेतृत्व कर रहा है।

करीब 20 देशों ने पूरी तरह से भारत के दावे का समर्थन किया लेकिन एनएसजी में फैसला सर्वसम्मति से होता है। भारत एनएसजी की सदस्यता की मांग कर रहा है ताकि वह परमाणु प्रौद्योगिकी का निर्यात और इसका कारोबार कर सके। परमाणु प्रौद्योगिकी के वैश्विक व्यापार का नियमन करने वाली एनएसजी तक पहुंच से ऊर्जा की जरूरत वाले भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलने की संभावना है। भारत एक महत्वाकांक्षी ऊर्जा उत्पादन कार्यक्रम पर काम कर रहा है। भारत का प्रयास 2030 तक परमाणु कार्यक्रम से 63,000 मेगावाट ऊर्जा जरूरत को हासिल करना है।