April 28, 2024

भारत में कोविड-19 से जंग: बेरोजगारी और भूखमरी का कौन ढूंढेगा हल

जे.बी.शर्मा

प्रभु रथ रोको
क्या प्रलय की तैयारी है
बिना शस्त्र का युद्ध है जो,
महाभारत से भी भारी है।
कितने परिचित कितने अपने,
आखिर यूं चले गए
जिन हाथों में घन-संबल
सब काल से छले गए ….

विख्यात साहित्यकार रामधारी सिंह दिनकर जी की उपरोक्त पंक्तियां आज भी कितनी सार्थक व संदर्भित प्रतीत हो रहीं हैं! हालांकि दिनकर जी आज दुनिया से गए लगभग 46-47 साल हो चुके हैं फिर भी दिवंगत रचना कार की सोच का प्रभाव अमिट दिखता है। यह बात बिल्कुल सही है कि काल ने तो हर एक को छल ही लेना है। इसलिए ज्यादा चतुराई किसी के काम आने वाली नहीं है।

दूसरा, महाभारत काल की परिस्थितियां आज भी दिखाई पड़ रही हैं। आज देश के नागरिकों को यह बात समझने की जरुरत है और विवेकपूर्ण ढंग से अपना-अपना पक्ष न केवल चुनना होगा बल्कि दृढ़तापूर्वक उसी पक्ष में ही खड़ा रहना होगा। भाविष्य में कौन धर्मी कहलाऐगा और कौन अधर्मी। इस बात का निर्णय उस भगवान पर छोड़ दो जो महाभारत के युद्ध में अर्जुन का सारथी बना था।

गत अप्रैल माह की शुरूआत से ही कोविड-19 की दूसरी लहर के भयंकर प्रकोप को जिस प्रकार देश वासियों ने झेला उसका गवाह आज न केवल प्रत्येक भारत वासी है अपितु समूचे विश्व ने कोविड-19 के कारण भारत की हुई दुर्गगति को देखा है। 14 मई 2021 तक डब्लयूएचओ के आंकड़ों के अनुसार देश में एक्टिव केसों की संख्या 3704893 थी। जबकि डिस्चार्ज होने वाले मरीज़ो की संख्या 20079599 थी। वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों की संख्या 2,62317 तक पहुंच चुकी है।

उक्त आंकड़े वो हैं जिन्हें डब्लयूएचओ ने अपनी साईट पर डाला है। अब कौन जाने कि कोविड-19 की इस महामारी से पीड़ित और मृत्यु को प्राप्त होने वाले लोगों की वास्तिवक संख्या कितनी है? हमारा देश घनी आबादी का देश है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन दु:ख भरा सवाल यह है कि मौजूदा देश के हुक्मारानों ने क्या इस महामारी से लोगों को बचाने या उनको समय पर सही स्वास्थ्य सेवाऐं उपलब्ध कराने में अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाया है?

अगर ऐसा होता तो देश में बंगाल के चुनावों को लेकर यह नारा शायद न लगता कि अब की बार दो सौ पार! बल्कि इस नारे के स्थान पर देश के हुक्मरान देशवासियों को ढांढस बंधाते हुए यह नारा देते कि अब की बार कोविड- उपचार। अफसोस ऐसा हो ना सका। इस बात के विपरीत हुक्मरान तो यह तर्क देते रहे कि महाराष्ट्र – दिल्ली सहित अन्य प्रांतो में भी कोविड फैल रहा है वहां तो चुनाव नहीं हैं। इससे प्रतीत होता कि सत्ताधारितयों की इस महामारी से लड़ने की कितनी इच्छा शक्ति रही होगी?

भारतीय जनता पार्टी ने 2017 में अपने 14 और 3 गोआ फॉर्वड ब्लॉक व 3 महाराष्ट्रा गोमंतक पार्टी के विधायकों को मिलाकर गोवा में सरकार बनाई थी। इतना तो विदित हो चुका है कि बीजेपी यकीनन देश-प्रदेश में सरकार बना कर देश की सत्ता पर काबिज रहना चाहती है। जिसके लिए बीजेपी कोई भी दांव चल सकती है या कहे कि हर प्रकार के दांव चलने में माहिर है।

ऐसे में इण्डियन एक्सप्रेस ने 15 मई के अपने एडिटोरियल में छापा है कि गोवा मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में हुई त्रासदी की जिम्मेदारी तो किसी न किसी को लेनी ही होगी। गोवा मेडिकल कॉलेज की घटना कहें या त्रासदी में 70 कोविड मरीजों की जान जा चुकी है। मरीजों के मरने का मुख्य कारण रात दो बजे से प्रात 6 बजे तक ऑक्सीज़न सप्लाई में गिरावट आना है।

घटना की शुरूआत मंगलवार से होती है जब ऑक्सीजन की कमी से 26 लोगों की मौत हुई। गोवा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को हिदायत दी कि वह सुनिश्चित करे कि ऑक्सीजन की वजह से मौत नहीं हो रही। बावजूद इसके गोवा में मौत का सिलसिला नहीं थमा। उस दौरान बधुवार को 20 मरीज और गुरुवार को 15 मरीज और शुक्रवार को 13 मरीज की मौत हुई थी।

वहीं प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी कहते है कि आज देश एक अदृश्य दुश्मन से लड़ रहा है और वे भी उस दर्द को महसूस कर रहे है जो उन सभी देशवासियों को हो रहा है जिन्होंने अपनों को खो दिया। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में राज्यों सरकारों से कालाबाज़ारी को नियंत्रित करने का अनुरोध किया और जानकारी दी कि देश में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत एक हौसले वाला देश है यह कोरोना से लड़ेगा और जंग जीतेगा। ऐसे में प्रधानमंत्री महोदय के भाषण के सूक्ष्मसार तत्व को देश वासियों को ही समझना होगा कि देश न सिर्फ कोरोना की बल्कि बेरोजगारी और उससे पैदा होने वाली भूखमरी से जंग कैसे जीतेगा? और साथ ही किसानों की समस्या का समाधान कौन, कब और कैसे ढूंढेगा?

(लेखक एक वरिष्ठ पत्रकार है)