November 17, 2024

जानिए क्यों मनाया जाता है भाई दूज और इसका महत्व

दिवाली और गोवर्धन के पर्व की तरह ही भाई दूज के त्योहार की भी बहुत मान्यता है। यह त्योहार दिवाली के दो दिन बाद यानि गोवर्धन पर्व के अगले दिन मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाईयों को टीका कर कलावा बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।

भाई दूज पर्व भाईयों के प्रति बहनों की श्रद्धा और विश्वास का पर्व है। इस पर्व को हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन ही मनाया जाता है। इस पर्व को बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगा कर मनाती हैं और भगवान से अपने भाइयों की लम्बी आयु की कामना करती हैं। हिन्दू धर्म में भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक के रूप में दो त्योहार मनाये जाते हैं। पहला रक्षाबंधन जो कि श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है।

दूसरा त्योहार भाई दूज का होता है, इसमें बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं, इस दिन बहनें भाइयों के स्वस्थ और दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं। मान्यता है कि इस दिन बहन अपने हाथ से भाई को जीमाए तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं। मान्यता के अनुसार इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है। बहनों को इस दिन भाई को चावल खिलाना चाहिए।

भाई दूज का महत्व
भारतीय परम्परा के अनुसार विवाह के बाद कन्या का अपने घर, मायके में कभी-कभार ही आना होता है। मायके की ओर से भी परिवार के सदस्य कभी-कभार ही उससे मिलने जा पाते हैं। ऐसे में भाई अपनी बहन के प्रति उदासीन न हों, उससे सदा स्नेह बना रहें, बहन के सुख:दुख का पता चलता रहें. भाई अपनी बहनों की उपेक्षा न करें, और दोनों के सम्बन्ध मधुर बने रहें। इन्हीं भावनाओं के साथ भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।

भैया-दूज भी हुई हाईटेक भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भैया-दूज भी आधुनिक जमाने के साथ कदम से कदम मिलाते हुए हाईटेक हो गया है। इन दिनों जहां देश-विदेश के विभिन्न स्थानों पर रहने वाले भाई-बहन समय की कमी को महसूस करते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं।