New Delhi/Alive News : इस साल सावन माह की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय होता है। इस पूरे माह में देवों के देव महादेव की पूजा अर्चना की जाती है। वैसे तो साल भर महादेव की पूजा की जाती है, लेकिन सावन का महीना शिव शम्भू की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है। इस बार सावन का महीना और भी ज्यादा खास माना जा रहा है, क्योंकि महादेव की कृपा दिलाने वाला सावन इस साल एक नहीं बल्कि दो महीने का होने वाला है। इस पावन माह के शुरू होते ही हर कोई शिव की भक्ति में लीन हो जाता है। हर तरफ माहौल शिवमय हो जाता है। सावन में हर साल श्रद्धालु महेश्वर को खुश करने के लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं।
इस साल सावन माह की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को बहुत प्रिय होता है। इस पूरे माह में देवों के देव महादेव की पूजा अर्चना की जाती है। वैसे तो साल भर महादेव की पूजा की जाती है, लेकिन सावन का महीना शिव शम्भू की आराधना के लिए उत्तम माना जाता है। इस बार सावन का महीना और भी ज्यादा खास माना जा रहा है, क्योंकि महादेव की कृपा दिलाने वाला सावन इस साल एक नहीं बल्कि दो महीने का होने वाला है। इस पावन माह के शुरू होते ही हर कोई शिव की भक्ति में लीन हो जाता है। हर तरफ माहौल शिवमय हो जाता है। सावन में हर साल श्रद्धालु महेश्वर को खुश करने के लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कब से शुरू हो रही है।
कब से शुरू हो रही है कांवड़ यात्रा
इस बार सावन दो महीने तक चलेगा। इस साल कावड़ यात्रा की शुरुआत 4 जुलाई से हो रही है और 31 अगस्त तक चलेगी। ऐसे में इस साल कावड़ियों को भी शिव भक्ति के लिए ज्यादा समय समय मिल जाएगा।
क्या होती है कांवड़ यात्रा?
सावन के पवित्र महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा का आयोजन करते हैं, जिसमें लाखों श्रद्धालु भगवान महादेव को खुश करने के लिए प्रमुख तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरी कांवड़ को अपने कंधों पर रखकर पैदल शिव मंदिर जाते हैं। इस गंगा जल से शिव जी का अभिषेक करते हैं।
कावड़ यात्रा का महत्व
शिव जी को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है, इसलिए वे देवाधिदेव महादेव कहलाते हैं। वे कालों के भी काल महाकाल हैं। इनकी कृपा से बड़ा से बड़ा संकट भी टल जाता है। ऐसी मान्यता है कि शिव जी बहुत ही आसानी से प्रसन्न हो जाने वाले देव हैं। वे केवल भाव के भूखे हैं, यदि कोई श्रद्धा पूर्वक उन्हें केवल एक लोटा जल अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें प्रसन्न करने के लिए हर साल उनके भक्ति कावड़ यात्रा निकालते हैं।
कैसे हुई कावड़ यात्रा की शुरुआत
रावण, भगवान शिव का सच्चा भक्त था और रावण को पहला कांवड़िया माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब समुद्र मंथन में विष निकला तो संसार इससे त्राहि-त्राहि करने लगा। तब भगवान शिव ने इसे अपने गले में रख लिया, लेकिन इससे शिव के अंदर जो नकारात्मक ऊर्जा ने जगह बनाई, उसको दूर करने का काम रावण ने किया था। वह कांवड़ में गंगाजल लेकर आया और उसी जल से उसने शिवलिंग का अभिषेक किया, तब जाकर भगवान शिव को इस विष से मुक्ति मिली।