May 5, 2024

जानिये, गुरु पूर्णिमा की पूजा की विधि, महत्व और तिथि

New Delhi/AliveNews : भारत में हर वर्ष गुरु पूर्णिमा धूमधाम से बनाई जाती है गुरु की महत्ता बनाए रखने के लिए ही गुरु पूर्णिमा को गुरु पूजन या व्यास पूजन किया जाता है। गुरु मंत्र प्राप्त करने के लिए भी इस दिन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा, गुरु पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन के बाद से आषाढ़ मास समाप्त हो जाता है और भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन का प्रारंभ होता है। वैसे तो प्रत्येक पूर्णिमा पुण्य फलदायी होती है। लेकिन गुरु को समर्पित, गुरु पूर्णिमा पर की गई पूजा,उपवास बहुत पुण्यदायी माने गए हैं। इस दिन शिष्य गुरु का पूजन कर आशीर्वाद ग्रहण कर अपने आपको धन्य मानते हैं और गुरु के प्रति आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि गुरु अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इसी दिन महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। व्यासजी को प्रथम गुरु की भी उपाधि दी जाती है, क्योंकि गुरु व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। गुरु अपने ज्ञान से शिष्य को सही मार्ग पर ले जाते हैं और भगवान का साक्षात्कार करवाते हैं। इसलिए गुरुओं के सम्मान में हर वर्ष यह पर्व मनाया जाता है।

गुरु का महत्व
कबीरदासजी ने लिखा है- गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाये, बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाये। कबीरदासजी का यह दोहा गुरु के प्रति सम्मान को व्यक्त करते हुए है। आदिकाल से हमारे समाज ने गुरु की महत्ता को स्वीकारा है।’गुरु बिन ज्ञान न होहि’ का सत्य भारतीय समाज का मूलमंत्र रहा है। माता बालक की प्रथम गुरु होती है,क्योंकि बालक उसी से सर्वप्रथम सीखता है। भगवान दत्तात्रेय ने अपने चौबीस गुरु बनाए थे। इनके अलावा भी भारतीय धर्म, साहित्य और संस्कृति में अनेक ऐसे दृष्टांत भरे पड़े हैं , जिनसे गुरु का महत्व प्रकट होता है। यहां तक वशिष्ठ को गुरु रूप में पाकर श्रीराम ने ,अष्टावक्र को पाकर जनक ने और संदीपनी को पाकर श्रीकृष्ण-बलराम ने अपने आपको बड़ी भागी माना।

गुरु की महत्ता बनाए रखने के लिए ही भारत में गुरु पूर्णिमा को गुरु पूजन या व्यास पूजन किया जाता है। गुरु मंत्र प्राप्त करने के लिए भी इस दिन को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। आप जिसे भी अपना गुरु बनाते हैं, गुरु पूर्णिमा के दिन विशेषरूप से उसके प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। क्योंकि उनके ज्ञान के प्रकाश से आपके जीवन का अंधकार दूर होता है। अच्छे गुरु के माध्यम से ईश्वर की प्राप्ति संभव है। केवल गुरु ही नहीं बल्कि अपने से बड़े और अपने माता-पिता को गुरु तुल्य मानकर उनसे सीख लेनी चाहिए और उनका हमेशा सम्मान करना चाहिए।

पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं की पूजा के लिए विशेष महत्व होता है। गुरु पूर्णिमा पर सुबह स्न्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद घर के पूजा स्थल में विराजित सभी देवी-देवताओं को प्रणाम करना चाहिए। यदि आपने अपने गुरु बना रखे हैं तो उनकी चरण वंदना करनी चाहिए और अपने गुरु का आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन गुरु के अलावा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। इस दिन गाय की पूजा व सेवा और दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन वेदों के रचयिता वेदव्यास को प्रमाण अवश्य करना चाहिए।

गुरु पूर्णिमा तिथि
इस तिथि की शुरुआत 2 जुलाई की रात को 8 बजकर 21 मिनट पर हो रही है। जिसका समापन 3 जुलाई को शाम 5 बजकर 8 मिनट पर होगा। सूर्य उदयतिथि के अनुसार गुरु पूर्णिमा 3 जुलाई को मनाई जाएगी।