November 17, 2024

गंगा दशहरा पर जानिए गंगा में स्नान और दान का धार्मिक महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हस्त नक्षत्र में जन-जन के हृदय में बसी मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इस दिन को गंगा दशहरा के रूप में मनाया जाता है ,जो इस बार 10 जून को है। इस दिन गंगा में स्नान एवं दान करने से प्राणी के सब दुःख दूर हो जाते हैं।

गंगा स्नान का महत्व
शास्त्रों के अनुसार पाठ, यज्ञ, मंत्र, होम और देवार्चन आदि समस्त शुभ कर्मों से भी जीव को वह गति नहीं मिलती, जो गंगाजल के सेवन से प्राप्त होती है। गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है।

मान्यता है कि गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है और गंगा स्नान करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है। विधिविधान से गंगा पूजन करना अमोघ फलदायक होता है। अमावस्या दिन गंगा स्नान और पितरों के निमित तर्पण और पिंडदान करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं। मत्स्य, गरुड़ और पद्म पुराण के अनुसार हरिद्वार, प्रयाग और गंगा के समुद्र संगम में स्नान करने से मनुष्य मरने के बाद स्वर्ग पहुंच जाता है और फिर कभी पैदा नहीं होता यानी उसे निर्वाण की प्राप्ति हो जाती है।

इन चीजों का करें दान
स्कंद पुराण के अनुसार गंगा दशहरे के दिन श्रद्धालुजन दस-दस सुगंधित पुष्प, फल, नैवेद्य,दस दीप और दशांग धूप के द्वारा श्रद्धा और विधि के साथ दस बार गंगाजी की पूजा करें। जिस भी वस्तु का दान करें, उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें, उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में वृद्धि होती है एवं मां गंगा प्रसन्न होकर मनुष्य को पापों से मुक्त करती हैं।