March 28, 2024

गांवों में ठोस कचरा प्रबंधन करने की पहल : नगराधीश

Faridabad/Alive News : नगराधीश एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद पुलकित मल्होत्रा ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत घरों से रोजाना निकलने वाले गलनशील एवं अगलनशील कूड़े के उचित प्रबन्धन के लिए ठोस कचरा प्रबंधन शैडो का निर्माण खंड कार्यालयों के माध्यम से कराया जा रहा है. जिले की सभी ग्राम पंचायतो में शैड निर्माण के लिए धनराशि रिलीज़ की हुई है। अभी तक जिले की 60 ग्राम पंचायतो में शैड का निर्माण हो चुका है एवं 44 ग्राम पंचायतो में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन एवं उसके प्रबंधन का कार्य खंड कार्यालयों के माध्यम से 15वे वित्तायोग के तहत मैनपावर एवं एजेंसी हायर कर किया जा रहा है।

घरों में से निकलने वाले कूड़े से अगलनशील कूड़े को पृथक कर रखा जाता है एवं उसमें से निकलने वाले सिंगल यूज़ प्लास्टिक को विकास एवं पंचायत विभाग, हरियाणा द्वारा इनपैन्ल्ड एजेंसी को 8/रु. प्रति किलो के हिसाब से दिया जाता है अभी तक जिले से 2.5 मेट्रिक टन प्लास्टिक एजेंसी को हैण्डओवर किया जा चुका है जिसकी धनराशि एजेंसी द्वारा विकास एवं पंचायत विभाग को जमा कराई गयी है और फिर से 3 मेट्रिक टन सिंगल यूज़ प्लास्टिक एकत्रित कर लिया गया है.

उन्होंने कहा कि आधुनिक समय की भयानक समस्याओं में कचरा निपटान एक बड़ी वैf”वक समस्या है. ग्रामीण जीवन शैली पर भी शहरी जीवन की तरह से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन का असर देखने को मिल रहा है. क्योकि ग्रामीण क्षेत्र में भी इसके उचित प्रबंधन के लिए जागरूकता की कमी है. गांवों में ठोस कचरा प्रबन्धन के लिए कोई बड़े प्रबंध नही होते है इसलिए इस परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जा रहा है. जिस तरह हमारे घरों में प्रयोग होने वाली सब्जी, पौधे के पत्ते, गोबर आदि कुछ समय बाद खाद में बदल जाते है. लेकिन ठोस वस्तुओ का अपशिष्ट कभी भी लाभदायक खाद में परिवर्तित नही हो पता जिससे टूटे हुए कांच, प्लास्टिक की बनी वस्तुएं, इलेक्ट्रॉनिक के सामान, आदि ऐसे उत्पाद है जो एक बार काम में लेने के बाद सालो साल उसी अवस्था में पड़े रहते है.

इस बारे में उन्होंने बताया कि मूलरूप से हमे कचरे को उसी प्रकृति के आधार बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट दो भागो में विभाजित कर सकते है. ठोस कचरा प्रबन्धन की प्रक्रिया के अनेक लाभ होते है इन लाभों में जिन स्वास्थ्य, पर्यावरण एवं परिस्तिथिकी तन्त्र को तो लाभ मिलता ही है साथ ही अनेक प्रकार की सामाजिक आर्थिक दशाओ में भी लाभ की प्राप्ति होती है.

उन्होंने बताया कि हमारा लक्ष्य है कि जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में 31 दिसम्बर 2021 तक ठोस कचरा प्रबन्धन नियम-2016 लोगों के सामूहिक प्रयास एवं योगदान से लागू हो सके.