May 3, 2024

हरियाणा: स्कूल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव, हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग पर लगाया 5 लाख का जुर्माना

Chandigarh/Alive News: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकारी स्कूलों के मूलभूत सुविधाओं के मोहताज होने के आंकड़े पर शिक्षा विभाग पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही एक हफ्ते के अंदर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति के लिए योजना पेश करने के आदेश दिया। 131 स्कूलों में पीने का पानी, 236 में बिजली कनेक्शन, 538 में लड़कियों के तो वहीं 1047 स्कूलों में लड़कों के शौचालय नहीं है। जुर्माना राशि हाईकोर्ट ने महिला व बाल कल्याण विकास विभाग में जमा करवाने का आदेश दिया है। शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व निदेशक को हाजिर रहने का आदेश दिया है।

कैथल जिले के बालू स्कूल के छात्रों की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के बारे में जानकारी मांगी थी। जवाब में जो आंकड़े पहुंचे वो चौकाने वाले थे। इनके अनुसार प्रदेश के 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है। 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है। 538 स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय नहीं है और 1047 स्कूलों में लड़कों के शौचालय नहीं है। इसके साथ ही बताया गया कि विद्यार्थियों के लिए 8240 क्लासरूम की जरूरत है।

याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि एक तरफ तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और खुले में शौच मुक्त भारत जैसे नारे दिए जा रहे है और दूसरी तरफ स्कूलों में शौचालय व पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है। इन सुविधाओं के लिए स्कूली बच्चों को मजबूरन हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है। हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे के मुताबिक जहां हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शौचालय, पीने के पानी, बिजली कनेक्शन जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है वहीं शिक्षा विभाग ने 10,675.99 करोड़ रुपये कि ग्रांट को बिना उपयोग किये सरकार को वापस भेज दिया।

हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार कोर्ट के सामने सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है। धरातल पर कोई काम नहीं कर रही। कोर्ट ने कहा कि एक तरफ भारत सरकार ”स्वच्छ भारत मिशन” का नारा देते हुए हर घर में शौचालय उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ स्कूलों में यह हाल है। हरियाणा सरकार के रवैए व हलफनामे के चौंकाने वाले आंकड़ों की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए एक हफ्ते के अंदर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति के लिए योजना पेश करने के आदेश दिया है।