May 5, 2024

फरीदाबाद का नूर ‘बडख़ल झील’ हुई बेनूर

12 साल से सुखी पड़ी ‘बडख़ल झील’ कब होगी गुलजार ?

‘बडख़ल झील’ कहीं विधायक का चुनावी जुमला बनकर न रह जाए

Poonam Chauhan/Alive News : फरीदाबाद की लाईफ लाईन कहीं जाने वाली बडख़ल झील पिछले 12 सालों से बेनूर पड़ी है। अरावली की गोद में 40 एकड़ से अधिक जगह में बसी मानव र्निमित झील आज सालों से अपनी प्यास बुझाने को हरियाणा सरकार और केन्द्र सरकार की तरफ उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। फरीदाबाद प्रशासन की ढ़ेरो कोशिशे भी प्रकृति के इस अनुपम उपहारों को बचा न सकी।

बडख़ल के सौन्दर्य से खुद को भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी भी दूर न रख सकी और परिवार सहित यहां के दिलकश नजारों को देखने खीची चली आती थी। आज वहीं झील अपने अस्तित्व को भूलती जा रही है और झील को जिंदा करने के नाम पर सालों से मात्र राजनीति ही की जा रही है लेकिन झील में जान कोई न डाल सका।

प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 2015 में बडख़ल झील को दोबारा से जीवित करने और इसके सौदन्र्यकरण को बनाए रखने के लिए 10 लाख देने की घोषणा की थी।

उन्होंने कहा था कि प्रदेश सरकार की तरफ से सर्वे कर प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा। लेकिन कहां गया सर्वे और कहां तैयार हुआ प्रोजेक्ट किसी को कुछ नहीं पता। इतना ही नहीं बडख़ल झील को गुलजार करने के लिए फरीदाबाद प्रशासन के पास भी कोई ब्लयू प्रिंट मौजूद नहीं है ऐसे में कैसे सुधरेंगे झील के हालात।

– झील की राजनीतिक पहुंच
भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने सन् 1972 में अपना जन्मदिन यहां मनाया था और वह झील के सौन्र्दय से इस कदर प्रभावित हुई कि समय-समय पर परिवार सहित यहां आती और बॉटिंग करती थी। तभी बडख़ल झील उभरकर सबके अस्तित्व में आई और प्रसिद्ध हासिल की। वहीं बडख़ल विधानसभा बनने के बाद भाजपा की सीट से चुनाव में जीत के लिए मुद्दा बनी बडख़ल झील वत्र्तमान विधायक के लिए अब शायद गले की फांस बनता नजर आ रहा है।

– कब से सुखी है झील
सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोट के वैज्ञानिकों का दावा है कि साल 2006 में ही बडख़ल झील का पानी सुख गया था। उनके अनुसार उसी दरमियान सुरजकूण्ड और दमदमा झील का पानी भी सुख गया। कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार बरसाती पानी जमा होने से बनी इस झील के पतन का कारण अवैध माइनिंग को माना गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट माइनिंग को लेकर प्रदेश सरकार को कड़ी प्रतिक्रिया भी दे चुका है।

– सिरे नहीं चढ़ी परियोजनाएं
हरियाणा सरकार और केन्द्र सरकार की अनेदखी का शिकार हुई बडख़ल झील की दुर्दशा को सुधारने के लिए फरीदाबाद प्रशासन की तरफ से समय-समय पर काफी योजनाएं चलाई गई लेकिन कोई भी योजना अपने पूर्ण अंजाम तक नहीं पहुंची और अधर में ही दम तोड़ दिया।

– नहीं आते सैलानी
हॉर्स राइडिंग करवाने वाले ने बताया कि सुखी बडख़ल झील को देखने अब कोई सैलानी नही पहुंच रहा है। क्योंकि यहां न तो अब पानी है न ही हरियाली। उन्होंने कहा कि हॉर्स राइडिंग और कैमल राइडिंग के लिए यहां ठेका लेना पड़ता है लेकिन यहां सैलानी ही नहीं आते जिससे उनके पास अब कोई रोजगार नहीं है। इसका खामियाजा हरियाणा सरकार के होटलों को भी भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार को खहिए कि बडख़ल की विधायिका के चुनावी मुद्दे को साकार करने के लिए झील को फिर से विकसित करना चाहिए।

– वाटरमैन कथनी

बडख़ल झील का सुखना निराशाजनक है, माइनिंग के गड्ढे में पानी रूकने से समस्या उत्पन्न हुई है। जल धाराओं के मार्ग में आने वाले अवरोधो को हटाना होगा। सरकार को बारिश का इंतजार नहीं करना चाहिए और कैनाल सिस्टम से यहां तक पानी लाने की व्यवस्था करनी चाहिए। बडख़ल झील के आवक संरक्षित नहीं है, उन्हे संरक्षित करना होगा। नेचरल हेरिटेज को ठीक रखना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
– राजेन्द्र सिंह, वाटरमैन।

– क्या कहती हैं विधायक

बडख़ल झील प्रकृतिक का अनमोल उपहार है, प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पीएम मोदी के पद चिन्हो पर चलकर पर्यावरण को बढ़ावा दे रहे है, जल्द ही सरकार की योजना के तह्त बड़खल झील को हरियाली और पानी से भरा जाएगा, ताकि सैलानी यहां आ सके।
सीमा त्रिखा, बडख़ल विधायक।