April 19, 2024

ब्रेकथ्रू के ‘स्त्रीलिंक मेले’ में महिलाओं के लिए हिंसा मुक्त माहौल बनाने पर हुई चर्चा

Faridabad/Alive News: महिला अधिकारों पर काम करने वाली संस्था ब्रेकथ्रू ने आज अपने ‘स्त्रीलिंक’ मेले की शुरुआत डबुआ के सामुदायिक भवन से की। इस मेले में लगे विभिन्न स्टालों के माध्यम से महिलाओं के साथ होने वाले लैंगिक भेदभाव,घरेलू हिंसा, सार्वजनिक स्थानों पर होने वाले यौन उत्पीड़न, कार्यस्थल पर होने वाली हिंसा, नौकरी पर रखने के नाम पर उनके साथ होने वाले उत्पीड़न जैसे मुद्दे को संबोधित करते हुए लोगों से उसमें दखल देने की अपील की गई।

डबुआ में पहले ‘स्त्रीलिकं’ मेले की शुरुआत के अवसर पर ब्रेकथ्रू की स्टेट लीड (दिल्ली एनसीआर) प्रियंका सिन्हा ने कहा कि ब्रेकथ्रू लंबे समय से महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को समाप्त करने के लिए काम कर रहा है, इसी कड़ी में कपड़ा फैक्ट्रियों में काम करने वाली महिलाओं को ध्यान में रखते हुए हमने यह कार्यक्रम ‘स्त्रीलिंक’ शुरू किया है।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य उन महिलाओं के जीवन से किसी भी तरह की हिंसा को समाप्त करके उनके जीवन को बेहतर बनाना है। क्योंकि उनके साथ होने वाली हिंसा चाहे वो घर पर हो बाहर उनके जीवन और काम पर उसका गहरा असर डालती है। वह घर,बाहर, रास्तों और कार्यस्थलों पर कहीं भी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। अब कामकाजी महिलाओं के प्रति सभी को अपनी सोच बदलने की जरूरत है, उनके भरोसे को बढ़ाने और उनके काम को सम्मान देने के लिए समाज को भी आगे बढ़कर उनका साथ देना होगा।

मुख्य अतिथि एस.एच.ओ, एनआईटी, महिला थाना, माया ने कहा कि महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा पर पुरूषों से भी बात करने की जरूरत है,क्योंकि दोनों एक-दूसरे के पूरक है। बराबरी वाला समाज बनाने के लिए हमें एक-दूसरे के अधिकारों का भी सम्मान करना होगा। हिंसा के खिलाफ चुप मत बैठिए तत्काल आगे बढ़कर दख़ल दें और आवाज उठाएं। महिला थानों के माध्यम से भी हम महिलाओं को हिंसा के मुद्दे पर आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

ब्रेकथ्रू महिलाओं के अधिकारों पर काम करने वाली संस्था है जो महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ होने वाली हिंसा और भेदभाव को समाप्त करने के लिए काम करती है।कला, मीडिया, लोकप्रिय संस्कृति और सामुदायिक भागीदारी से हम लोगों को एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, जिसमें हर कोई सम्मान, समानता और न्याय के साथ रह सके। हम मल्टीमीडिया अभियानों के माध्यम से मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों को मुख्य धारा में ला रहे हैं। इसे देश भर के समुदाय और व्यक्तियों के लिए प्रासंगिक बना रहे हैं।