March 28, 2024

भ्रष्टाचार का खुलासा : समाज कल्याण विभाग द्वारा 21 महिलाओं को विधवा दिखा दी जा रही थी सहायता राशि

Lucknow/Alive News : आए दिन देश में नए भ्रष्टाचार के मामलों उजागर हो रहे है और ऐसा कोई राज्य नहीं है जहां के अधिकारियों के दामन पर भ्रष्टाचारी का दाग ना लगा हो। भ्रष्टाचार के मामले में यूपी सबसे टॉप पर है। सरकारी दफ्तरों में अपना काम करवाने के लिए आने वाले भोले- भाले लोगों से सरकारी विभाग के कुछ भ्रष्ट अधिकारी अधिक पैसा वसूलते है और उसके एवज में अधिकारी विभाग को गलत रिपोर्ट सौंप देते है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना में पति के जीवित होने के बावजूद महिला को राजस्व विभाग की रिपोर्ट में विधवा दिखाया गया। हालांकि शुरुआती पड़ताल में राजस्व विभाग के कर्मियों ने अपने हस्ताक्षर को फर्जी बताया है।

मिली जानकारी के अनुसार उधर लखनऊ के जिलाधिकारी ने सीडीओ को इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। वहीं जिला प्रशासन ने भी पूरी पारदर्शिता के साथ इस मामले की जांच का आश्वासन दिया है।

बता दें, कि इस योजना में परिवार के कमाऊ मुखिया की मौत पर 30 हजार रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। लखनऊ की तहसील सरोजनी नगर के ग्राम बंथरा और चंद्रावल में वर्ष 2019-20 और 2020-21 में 88 लोगों को योजना का लाभ दिया गया है। वहीं मिली जानकारी के अनुसार बंथरा में 21 महिलाओं के पतियों के जीवित होने के बावजूद उन्हें विधवा दिखाते हुए लाभ दे दिया गया। इसके अलावा 8 महिलाओं को नियमविरुद्ध ढंग से लाभ देने के लिए उनके पति की मौत की तारीख ही बदल दी गई।

ऐसे में यह साफ है कि घपले के पीछे किसी बड़े रैकेट का हाथ है। इसमें समाज कल्याण विभाग के स्थानीय अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। अभी तक लखनऊ के अलावा चित्रकू, बलरामपुर, गोरखपुर और कानपुर में भी इस योजना में गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं।

दूसरी तरफ यूपी प्रशासन ने समाज कल्याण विभाग के निदेशक को 7 दिन के अंदर रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए है। इस मामले की जांच लखनऊ के उप निदेशक को सौंपी गई है। उन्होंने जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय से संबंधित दस्तावेज तलब किए हैं। 

जिस गांव में एक वित्त वर्ष में पांच से ज्यादा लाभार्थी, वहां जांच की जरूरत
समाज कल्याण विभाग के कुछ अधिकारियों का कहना है कि जिन गांवों में एक वित्त वर्ष में 5 से ज्यादा पारिवारिक लाभ योजना के लाभार्थी रहे हैं, वहां जरूर जांच कराई जानी चाहिए। इससे बड़ी गड़बड़ियां सामने आ सकती हैं और दो गांवों में दो वर्षों से 88 परिवारों को योजना का लाभ दिया गया। ऐसे में इन सभी मामले की जांच की जरूरत है।