November 24, 2024

फादर्स डे स्पेशलः बेटा… बहुत याद आती है तेरी, अपने साथ ले जा मुझे

Faridabad/Alive News : जिस पिता ने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर लायक बनाया, वही बेटे उनकी जरूरत के वक्त वृद्धाश्रम में छोड़ कर चले गए। जब सोशल मीडिया पर फादर्स-डे के मौके पर युवा अपने पिता के साथ फोटो चस्पा कर रहे थे, वहीं इस गहमागहमी से दूर एनआइटी-2 स्थित ताऊ देवीलाल वृद्धाश्रम में कुछ बुजुर्ग अपने बच्चों की राह देख रहे थे। लेकिन किसी भी बुजुर्ग का बेटा उन्हें फादर्स डे की विशिज तक देने नही पहुंचा। पूछने पर बुजुर्ग भावुक हो गए और बुजुर्गों ने कहा कि भगवान ऐसी संतान किसी को न दें, तो वहीं किसी ने बेटे को याद करते हुए घर जाने की इच्छा जाहिर की।

बेटा बहुत याद आती है तेरीः सुरेंद्र चौधरी

सुरेंद्र चौधरी

102 वर्षीय सुरेंद्र चौधरी ताऊ देवीलाल वृद्धाश्रम में पिछले सात साल से रह रहे हैं। गाजीपुर निवासी सुरेंद्र टंकी बनाने का काम करते थे। उन्होंने अपने दोनों बच्चों धर्मेद्र और नरेंद्र का पालन पोषण इसी से किया है। आज दोनों बेटे ड्राइवर हैं। लेकिन दोनों बेटे मिलकर भी एक पिता के दो वक्त की रोटी का खर्च नहीं उठा पा रहे है। बेटों का नाम जुबान पर आते ही सुरेंद्र रो पड़े और बोले आज भी बेटों की बहुत याद आती है। कांपते हुए हाथों से बेटों की सलामती की दुआ मांगी।

जहां रहो खुश रहो मेरे बच्चोंः शिव कुमार

शिव कुमार

एनआईटी-5 निवासी 84 वर्षीय शिव कुमार फरीदाबाद डीएलएफ यूनिर्सल में अकाउंटेंट थे। जिंदगी भर की कमाई से बच्चों को काबिल बनाया। आज शिव कुमार के तीनों बच्चे गृहस्थ जीवन में व्यस्त हैं। बेटा आशीष गुरुग्राम के एक निजी कंपनी में अच्छी पोस्ट पर है। लेकिन बेटा माता-पिता का खर्च नहीं उठा पाया। बेटियों की गृहस्थ जिंदगी में बोझ न बने इसलिए शिव कुमार अपनी पत्नी के साथ चार साल पहले वृद्धाश्रम आ गये। बीते वर्ष पत्नी किरण का निधन हो गया। तब से आश्रम के लोग ही उनके अपने हैं। शिव कुमार ने अपने बेटे बेटियों के लिए कहा-जहां रहो खुश रहो।

अच्छा हैं मैंने शादी नहीं कीः विजय

विजय

57 वर्षीय विजय मूलरूप से पलवल के निवासी हैं। विजय आठ भाई-बहनों में सातवें नंबर पर है। पिता और दो भाइयों के निधन के बाद मां श्रीदेवी मानसिक रूप से बीमार हो गईं। मां की देखभाल के साथ-साथ भाई के बच्चों का पालन पोषण भी विजय ने ही किया। विजय ने शादी भी नहीं की। लेकिन उन्हीं बच्चों ने आज पिता समान चाचा को घर से बाहर निकाल दिया। धोखे से जमान भी हथिया ली। विजय ने कहा कि यदि ऐसे बच्चे होते हैं तो अच्छा है मैंने शादी नहीं की। भगवान ऐसी संतान किसी को न दे। विजय दिल के मरीज के हैं और वृद्धाश्रम द्वारा इनका इलाज किया जा रहा है। नम आंखों से विजय ने कहा कि मां और बच्चे का रिश्ता अटूट है। आज भी मां की बहुत याद आती है।

किशन लाल बजाज

बच्चे बड़े होने के बाद मां बाप को भूल जाते हैं। इस समय 65 बुजुर्गें की देखभाल आश्रम द्वारा की जा रही है। बच्चों को माता-पिता का साथ अंतिम सफर तक निभाना चाहिए।
-किशन लाल बजाज, संचालक, ताऊ देवीलाल वृद्धाश्रम