New Delhi/Alive News: छात्रों की मानसिक और भावनात्मक भलाई सुनिश्चित करने के लिए बहुत जल्द ही पूरे देश के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘छात्र सेवा केंद्र’ (स्टूडेंट्स सर्विस सेंटर) खोले जाएंगे। इस संबंध में छात्रों की प्रतिक्रिया जानने के लिए यूजीसी ने दिशानिर्देशों (गाइडलाइंस) का एक मसौदा तैयार किया है। छात्र सेवा केंद्र’ का उद्देश्य कमजोर और तनावग्रस्त छात्रों की पहचान करना और उनका मार्गदर्शन करना होगा। यहां ऐसे छात्रों का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
गाइडलाइंस के मुताबिक, उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों की मदद के लिए सलाहकारों का होना अनिवार्य होगा। छात्र सेवा केंद्र’ में छात्रों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, खेल, एलजीबीटी छात्रों, देश के ग्रामीण इलाकों के बच्चों, महिलाओं, अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के छात्रों और विशेष जरूरत वाले छात्रों पर खास ध्यान दिया जाएगा।
यूजीसी का दावा है कि इससे पढ़ाई छोड़ने की दर में भी कमी आएगी। छात्रों के फीडबैक के आधार पर कॉलेज अपने छात्रों के लिए रणनीति तैयार करेंगे। इन केंद्रों के माध्यम से फिटनेस और खेल गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जाएगा। कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद से छात्रों के भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इससे पहले भी यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों को मानसिक स्वास्थ्य, मनोसामाजिक चिंता और छात्रों की भलाई के लिए हेल्पलाइन स्थापित करने के लिए कहा था।
कॉलेज को यह भी निर्देश दिया गया था कि वे नियमित रूप से छात्रों के साथ बातचीत करें। इसके लिए साल 2020 में टोल फ्री हेल्पलाइन भी शुरू की गई थी। मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी के कारण लोग तनाव को लेकर खुलकर बात नहीं करते हैं। मानसिक स्वास्थ्यको दूर करने के लिए संसाधनों की कमी है. इसके साथ ही इस संदर्भ में की गई बातों के लोग नकारात्मक अर्थ अधिक निकालते हैं।