November 24, 2024

इन शिक्षकों ने कोरोना के दौरान पढ़ाई को बनाया खेल जितना आसान, पढ़िए

Faridabad/Alive News : कोरोना महामारी ने पिछले दो साल के दौरान देश-दुनिया में हर चीज का रंग-ढंग बदल दिया। फिर चाहे लोगों के रहन सहन की बात हो या बच्चों की पढ़ाई हो इसका असर सभी पर पड़ा है। आज भी देशभर में ऐसे हजारों स्कूल हैं, जिनके दरवाजे कोरोना कल के दौरान खुले तक नहीं है। बावजूद इसके कई शिक्षकों ने इन बंद दरवाजों को पार किया और कोरोना कल के दौरान पढ़ाने के नए-नए तरीके भी ईजाद किए है। आज हम आपको उन शिक्षक के बारे में बताते है, जिन्होंने पढ़ाई को खेल जितना आसान बना दिया। 

कोरोना काल में लॉकडाउन के समय जब गांवों में रहने बच्चे वाले स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध न होने के कारण ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे तो ऐसे में मध्यप्रदेश के सागर जिले में रहने वाले शिक्षक चंद्रहास श्रीवास्तव ने ऐसा कदम उठाया, जिसे देखकर हर कोई उनकी वाहवाही करने लगा। दरअसल, चंद्रहास ने पढ़ाई-लिखाई से दूर हो चुके इन बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठा लिया। उन्होंने अपने स्कूटर को ही स्कूल और लाइब्रेरी जैसा बना दिया है। कोरोना काल में वह गांव-गांव जाते और जहां बच्चे मिलते वहीं मोहल्ला क्लास शुरू कर देते। 

इसके अलावा कोरोना संक्रमण के मामलों को बढ़ता देख पंजाब सरकार ने तमाम पाबंदियां लगा दी। जिससे हजारों बच्चे शिक्षा से महरूम हो गए। दरअसल, राज्य में ऑनलाइन क्लासेज तो लगातार चल रही थीं, लेकिन कमजोर कनेक्टिविटी के चलते पढ़ाई आसान नहीं थी तो ऑनलाइन क्लासेज में कोर्स समझने में भी दिक्कत होती थी।

ऐसे में जालंधर में रहने वाले प्रोफेसर एमपी सिंह ने बच्चों को पढ़ाने का नया तरीका खोज लिया। उन्होंने बताया कि उस दौरान बस सर्विस बंद नहीं की गई थी। ऐसे में उन्होंने स्कूल बसों में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। इस दौरान बच्चों को पढ़ाना आसान हो गया।

मध्यप्रदेश और पंजाब की तरह राजस्थान में भी दूरदराज के गांवों व ढाणियों में रहने वाले बच्चों को पढ़ाने के लिए अनूठी पहल की गई। दरअसल, यहां ऊंट गाड़ियों पर मोबाइल लाइब्रेरी शुरू की गई, जिसकी शुरुआत जोधपुर जिले के 30 गांवों में हुई। ऊंट गाड़ी पर बनी इस लाइब्रेरी में 1500 किताबें रखी गई हैं, जिनमें कहानियों और ड्राइंग की किताबें शामिल हैं। अहम बात यह है कि इन मोबाइल लाइब्रेरी की अलग-अलग थीम भी रखी गई हैं। यह लाइब्रेरी जगह-जगह घूमेगी और हर इलाके में जाएगी। जहां शिक्षक नहीं होते हैं, वहां अभिभावक किताबें पढ़कर बच्चों को समझाते हैं।