December 24, 2024

दाखिला करने में आनाकानी कर रहे हैं राजकीय स्कूल, सरकार की जमकर हो रही है किरकिरी

Faridabad/Alive News : एनआईटी- 3 स्थित राजकीय संस्कृति मॉडल स्कूल के प्रिंसिपल परेश गुप्ता द्वारा सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों के एडमिशन को लेकर सरकार द्वारा जारी आदेशों की जमकर अवहेलना की जा रही है। अभिभावक राकेश कुमार मौर्य ने बताया कि वह अपनी दोनों बच्चियों के दाखिले को लेकर कई बार राजकीय संस्कृति मॉडल स्कूल के प्रिंसिपल परेश गुप्ता के पास चक्कर काट चुके हैं और कई बार स्कूल के चक्कर काटने के बाद प्रिंसिपल परेश गुप्ता ने उन्हें सीट खाली ना होने का हवाला देते हुए उनकी दोनों बच्चियों को स्कूल में एडमिशन देने से मना कर दिया है।

जिसके बाद परेशान होकर अभिभावक राकेश कुमार मौर्य ने मौखिक तौर पर इसकी शिकायत जिला शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी से की। जिला शिक्षा अधिकारी रितु चौधरी ने संबंधित मामले में संज्ञान लेते हुए विद्यालय के प्रिंसिपल को एक पत्र जारी कर जवाब मांगा है। उन्होंने स्कूल के प्रिंसिपल परेश गुप्ता से कक्षावार उपलब्ध सभी सीटों की संख्या और सीटों का निर्धारण किन नियमों और शर्तों के आधार पर किया जा रहा है। उसकी सूचना 2 दिन के अंदर कार्यालय को उपलब्ध करवाने के साथ स्कूल की सूचना पट पर अंकित करने के भी आदेश दिए हैं। जिसके बाद स्कूल प्रिंसिपल ने जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मांगी गयी जानकारी को लिखित तौर पर उपलब्ध करवा दिया है।

बात दें, कि ऐसे में सरकार गरीब बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिल देने के सपने तो दिखा देती है और कल्याणकारी योजनाएं भी बना देती है। परंतु प्रभावी रूप से लागू करवाना और स्कूल प्रिंसिपल द्वारा इनका पालन करवाना भूल जाती है। सरकार फरीदाबाद में अपने ही बनाए नियमों की निगरानी करने में असफल साबित हुई है। दरअसल सरकार ही इन गरीब बच्चों के स्कूल से संबंधित सभी खर्चे स्कूल को मुहैया कराती है और सरकार द्वारा स्कूल प्रिंसिपल को सभी सुविधाएं मिलने के बावजूद गरीब बच्चों को दाखिला देने में आनाकानी करते हैं। इसके चलते गरीब बच्चे अच्छे सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने से वंचित हो रह हैं। ऐसे में गरीब बच्चों की पढ़ाई की बागडोर जब तक ऐसे स्कूल प्रिंसिपल के हाथ में है तब तक देश के बच्चों का भविष्य उज्जवल नही हो सकता। ऐसे स्कूल प्रिंसिपल जो स्कूल के प्रिंसिपल का पदभार सही तरीके से नहीं संभाल सकते। सरकार को ऐसे प्रिंसिपल को उनके कार्यभार से मुक्त कर देना चाहिए और उन पर कार्रवाई भी करनी चाहिए। ताकि विद्यार्थीयो के लिए विभाग द्वारा चलाई जा रही कल्याणकारी योजनाएं फलीभूत हो सके।

क्या कहना है स्कूल प्रिंसिपल का
उनके पास जितने बच्चे बैठाने के लिए कमरे थे और पढ़ाने वाले अध्यापक है। उससे कहीं ज्यादा एडमिशन किये है। अब जो बच्चे दाखिले के लिए आ रहे है, उनको इसलिए मना किया जा रहा है। क्योंकि उनके पास कमरे और स्टाफ की कमी है। इसको लेकर संस्कृति मोडल स्कूल ने शिक्षा निदेशालय को डिमांड भेज दी है।
-परेश गुप्ता, प्रिंसिपल-संस्कृति मॉडल स्कूल एनएच- 3