November 24, 2024

जानिए, रजनीकांत की सियासी पारी के सिंबल का क्या है मतलब

31 दिसंबर 2017 को जब रजनीकांत ने चेन्नई के श्री राघवेंद्र कल्याण मंडपम में अपने राजनीतिक आगाज़ का ऐलान किया, तो लोग बढ़-बढ़कर ये पंचलाइन वॉट्सऐप पर शेयर करने लगे. इसके अगले ही दिन 1 जनवरी 2018 को रजनीकांत ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो के ज़रिए लोगों का शुक्रिया अदा किया. थलाइवा के इन दोनों इंट्रैक्शंस में एक चीज़ कॉमन है- लोगो.

31 दिसंबर को रजनी ने मंच पर हाथ का एक सिंबल दिखाया और 1 जनवरी के वीडियो में भी ये सिंबल दिखाया गया. इसमें हाथ की उंगलियों से एक मुद्रा बनाई गई. ये हाथ एक कमल से निकल रहा है, जिसे एक सांप घेरे हुए है. माना जा रहा है कि ये रजनीकांत की पार्टी का सिंबल हो सकता है. हालांकि, ये चुनाव आयोग पर निर्भर करता है. वीडियो में इस सिंबल के नीचे तीन शब्द थे- मेहनत, ईमानदारी, तरक्की.

पर इस सिंबल का मतलब क्या है?
राजनीतिक पार्टियों के सिंबल के गहरे अर्थ होते हैं, जो पार्टी की विचारधारा और मेसेज को संप्रेषित करने का काम करते हैं. जैसे बीजेपी का निशान कमल, जो देश का राष्ट्रीय फूल है और शरीर, दिमाग और ज़बान की शुद्धता दिखाता है. कांग्रेस का निशान पंजा, जिसे पार्टी हर आदमी का हाथ थामने के तौर पर प्रदर्शित करती है. रजनी जो सिंबल दिखा रहे हैं, उसके कई मायने हैं. ये एक साधारण सिंबल है, जिसमें मध्यमा और अनामिका को अंदर की तरफ झुका दिया जाता है और तर्जनी और कनिष्ठा सीधी रहती हैं. अंगूठा झुकी हुई उंगलियों के नाखूनों पर रहता है.

रजनी की फिल्म की याद दिलाता है ये सिंबल
2002 में रजनी की फिल्म आई थी- बाबा. उसमें उनका किरदार कई मौकों पर यही सिंबल बनाते दिखता है. हालांकि, ये फिल्म फ्लॉप रही थी, लेकिन रजनी के फैंस ने लंबे समय तक ये सिंबल इस्तेमाल किया था.

रजनी के स्प्रिचुअल कनेक्शन को दिखाता है सिंबल?
रजनीकांत स्प्रिचुअल पॉलिटिकल सरकार का वादा कर रहे हैं. वो साफ राजनीति की बात कर रहे हैं. पिछले एक दशक में उनके कई स्प्रिचुअल गुरु रह चुके हैं जैसे श्रीगुरु बाबाजी (महावतार बाबाजी, जिनके साथ ये सिंबल जोड़ा जाता है) और श्री राघवेंद्रर. ये सिंबल रजनी के स्प्रिचुअल और यौगिक झुकाव की तरफ इशारा करता है.

अपान मुद्रा कहा जाता है इसे
अपान यौगिक मुद्रा शरीर के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है. ये वायु मुद्रा (मध्यमा को झुकाना) और पृथ्वी मुद्रा (अनामिका को झुकाना) का कॉम्बिनेशन है. ये दोनों मुद्रा शरीर को स्वस्थ रखती हैं और पित्त का असर कम करती हैं. कुल-मिलाकर इनका काम शरीर से अपशिष्ट और विषाक्त पदार्थों को दूर रखना होता है. माना जाता है कि अपान मुद्रा कब्ज, पेट फूलने और बवासीर से आराम देती है. ये मुद्रा हार्ट अटैक जैसी स्थिति में भी इंसान को बचा सकती है.

सिर्फ यौगिक मायने ही नहीं हैं इस मुद्रा के
इंडियन क्लासिकल डांस में भी इस मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है. क्लासिकल डांस में ये मुद्रा सिंहमुख का सिंबल मानी जाती है, जो लार्जर दैन लाइफ व्यक्तित्व को प्रदर्शित करती है. तमिलनाडु में रजनी का प्रभाव भी कुछ ऐसा ही है. भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी और ओडिशी नृत्य में भी इस सिंहमुख मुद्रा का इस्तेमाल किया जाता है. शेर को यूं प्रदर्शित किया जाता है कि वो जंगल का राजा होता है, बहादुर होता है और अपने गर्व को बचाने के लिए आखिर तक लड़ता है.

बौद्ध धर्म से भी है इस सिंबल का कनेक्शन
बुद्ध की ढेर सारी ऐसी मूर्तियां और तस्वीरें हैं, जिनमें उनके हाथ को इसी मुद्रा में दिखाया गया है. बौद्ध इसे कराना मुद्रा बताते हैं. माना जाता है कि ये मुद्रा नकारात्मक ऊर्जा और बुराई को दूर करती है.

पर दुनिया के दूसरे छोरों पर ये शैतान के सींग हैं
रॉक म्यूज़िक के एक जॉनर का नाम आपने सुना होगा- हैवी मेटल. इस म्यूज़िक के फैंस इस सिंबल को 70 के दशक के रॉकस्टार रूनी जेम्स डियो से जोड़ते हैं, जो उस समय खासे चर्चित हुए थे. वो स्टेज पर परफॉर्म करते हुए ये सिंबल बनाते थे. बाद में उन्होंने बताया कि उनकी दादी ये सिंबल बुराई को दूर करने के लिए इस्तेमाल करती थीं. हालांकि, इटैलियन मान्यताओं में इसे शैतान की आंख माना जाता है और कुछ और मान्यताओं में शैतान के सींग के तौर पर भी देखा जाता है.

रजनी का क्या मकसद हो सकता है
रजनी तमिलनाडु में साफ राजनीति और लोगों के भले की बात कर रहे हैं. कह रहे हैं कि वो लोगों के प्रतिनिधि भर हैं, जो उनकी भलाई के लिए काम करना चाहते हैं और अगर राजनीति में सफल नहीं हुए, तो तीन साल में राजनीति से हट जाएंगे. वो हाथ से जो सिंबल बना रहे हैं, उसे अलग-अलग भारतीय मान्यताओं में पवित्र और शरीर की आंतरिक सफाई करने वाला माना जाता है. ऐसे में ये सिंबल उनके स्प्रिचुअल पॉलिटिकल सरकार के वादे का सिंबल हो सकता है. बाकी तो खुद थलाइवा ही बेहतर बता सकते हैं कि उन्होंने ये सिंबल क्यों चुना है.