Delhi/Alive News : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति आगे चल रहा है और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती नजर आ रही है। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 145 सीटों की ज़रूरत होगी। बीजेपी ने इस बार 149 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
दूसरे नंबर पर एकनाथ शिंदे की शिव सेना और तीसरे स्थान पर अजित पवार की एनसीपी है. यानी महायुति पूर्ण बहुमत की ओर बढ़ रहा है। चूंकि बीजेपी के कई बड़े नेताओं ने चुनावों के दौरान कहा था, कि ‘अभी एकनाथ शिंदे हमारे सीएम हैं’. ऐसे में गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने की स्थिति में सवाल उठ रहा है कि इस बार मुख्यमंत्री कौन होगा?
एकनाथ शिंदे को बीजेपी इस बार सीएम बनाएगी, इसे लेकर संदेह है। बीजेपी ने शिंदे को मुख्यमंत्री तब बनाया था, जब उन्होंने शिव सेना में उद्धव ठाकरे से बग़ावत की थी और उन्हें इसी बग़ावत का इनाम मिला था।अब चीज़ें बदल गई हैं।ऐसे में कहा जा रहा है कि फडणवीस के बदले बीजेपी क्या किसी ओबीसी चेहरे पर दांव लगा सकती है? फडणवीस विदर्भ के ब्राह्मण चेहरा हैं।
इस बार का चुनाव कई मायनों से अहम था। पहला ये कि यह ऐसा पहला विधानसभा चुनाव है जिसमें शिवसेना और एनसीपी के दो-दो धड़ों में बंटने के बाद वे अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं।दूसरा यह कि किसी भी गठबंधन या दल ने चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री चेहरे की घोषणा नहीं की।
शायद इसके पीछे पार्टियों की यह रणनीति रही हो कि सीटों की संख्या के हिसाब से वो मुख्यमंत्री पद पर दावा कर सकें।अभी तक के रुझानों से यह साफ है कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आएगी. जिसकी वजह से मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी कहीं न कहीं फ्रंट फुट पर नज़र आ रही है।हालांकि महायुति के नेता अभी सार्वजनिक रूप से कोई स्पष्ट बयान नहीं दे रहे हैं।
मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, “अंतिम आंकड़े आने दीजिए उसके बाद तीनों पार्टियां बैठकर कोई फैसला लेंगी।”उन्होंने कहा, “तीनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता बैठकर आपस में बात करेंगे. जैसे हम एकजुट होकर चुनाव लड़े हैं वैसे ही एकजुट होकर कोई फैसला लेंगे।”
वहीं, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव प्रवीण तावड़े ने कहा, “एकनाथ शिंदे जी, देवेंद्र फडणवीस जी, अजीत दादा पवार और बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व साथ मिलकर इस पर निर्णय करेंगे और बताएंगे।” 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद वहां की राजनीति में देवेंद्र फडणवीस का बयान ‘मैं समंदर हूँ लौट कर आऊंगा’ काफी चर्चित रहा।
कहीं न कहीं उनकी कही यह बात सच साबित हुई, लेकिन जब वो सत्ता में आए तो उन्हें सीएम की कुर्सी तो नसीब नहीं हुई और उन्हें डिप्टी सीएम के पद से ही संतोष करना पड़ा।महाराष्ट्र बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस का जो कद है, उससे भी यह साफ होता है कि वो सीएम बनने की रेस में बहुत आगे हैं।देवेंद्र फडणवीस पहली बार 2014 में महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हुए थे। उस वक्त उन्होंने महाराष्ट्र बीजेपी का अध्यक्ष रहते हुए पार्टी को जीत दिलाई थी। उन्होंने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया और 2019 में भी पार्टी को जीत दिलाई। हालांकि गठबंधन टूटने से वो दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सके थे।