Faridabad/Alive News : सतयुग दर्शन वसुन्धरा में आयोजित रामनवमी यज्ञ-महोत्सव में आज तीसरे दिन विभिन्न प्रांतों व विदेशों से असंख्य श्रद्धालुओं का आना जारी रहा। आज हवन आयोजन के उपरांत सत्संग में सजनों को समबोधित करते हुए सजन ने कहा कि मानव जीवन एक यज्ञ यानि धार्मिक कृत्य है और शंख, चक्र, गदा पद्मधारी भगवान विष्णु यज्ञ पुरुष अर्थात् यज्ञात्मा हैं।
व्यक्तिगत कामनाओं/इच्छाओं और आसक्ति की आहुति देकर कर्म फलों को होम करना व आत्मीयता की भावना से युक्त होकर, वैश्विक कल्याण के निमित्त, अपनी प्रतिभा, विद्या, बुद्धि, समृद्धि, सामथ्र्य, तन, मन और धन को परमार्थ प्रयोजन में समर्पित करना, मानव जीवन के इस यज्ञ का सच्चा प्रयोजन है।
इस प्रयोजन सिद्धि हेतु सतत् जाग्रति में रह इस यज्ञ की पूर्ण आहुति के निमित अपना सर्वस्व त्यागना, विषम परिस्थितियों में भी यज्ञाग्नि के समान अपनी चारित्रिक प्रखरता बनाए रखना, जीवन भर पुरुषार्थ करते रहना और कत्र्तव्य पथ से विलग न होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में यज्ञ की निर्विघ्न समपन्नता में निष्कामता का भी अतुलनीय महतव है क्योंकि फल की आकांक्षा से रहित यज्ञ ही सात्विक कहलाता है।
सजन ने आगे कहा कि हम सब भी एक यज्ञ कत्र्ता की तरह इस जीवन यज्ञ को निर्विघ्न समपन्न करने के प्रयोजन में सफल हो सकें इस हेतु हमें इस यज्ञ की समुचित क्रियाओं का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करना है ताकि इस यज्ञ में विघ्नकारी राक्षस वृत्तियां हमारे अन्दर उत्पन्न न हो जाएं।