November 17, 2024

कब है ज्येष्ठ माह की निर्जला एकादशी व्रत, जानें निर्जला एकादशी पर क्यों है माता तुलसी की पूजा का विशेष प्रावधान

हर वर्ष ज्येष्ठ माह की एकादशी तिथि पर निर्जला एकादशी व्रत रखने की परंपरा होती है। ऐसे में इस बार यह व्रत 21 जून 2021, सोमवार को पड़ रहा है। इसे काफी कठिन व्रत माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन बिना पारण किए पानी तक नहीं पीना चाहिए। भगवान विष्णु को समर्पित इस व्रत को लेकर खास मान्यताएं और पौराणिक कथाएं भी है। इस दिन तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व होता है।

व्रत का महत्व
निर्जला एकादशी व्रत को सभी एकादशी व्रत में प्रमुख माना गया है। इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता हैनिर्जला एकादशी व्रत को सभी एकादशी व्रत में प्रमुख माना गया है। इसे भीमसेन एकादशी भी कहा जाता है। ऋषि वेदव्यास के अनुसार जो लोग एकादशी नहीं कर पाते तो कोई बात नहीं ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी व्रत करने से सभी एकादशियों के बराबर फल प्राप्त होता है। कहा जाता है कि निर्जला एकादशी व्रत रखने से सुख और यश की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है और जातक की सभी छोटी-बड़ी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

निर्जला एकादशी पूजा विधि
दशमी तिथि के सूर्यास्त के बाद भोजन त्याग दें और रात भर भूमि पर ही शयन करें। एकादशी तिथि की सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठें और भगवान विष्णु को याद करें। गंगाजल से स्नानादि करके सूर्य देव को जल अर्पित करें। व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। उनके समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें। फिर दूर्वा, पीले पुष्प, फल, अक्षत, चंदन आदि से भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें। उन्हें तुलसी दल जरूर अर्पित करें और द्वादशी तिथि को सुबह जल्दी उठकर, स्नानादि करें और विधान से भगवान विष्णु की पूजा करके जरुरतमंद या ब्राह्मण को दान व भोजन कराएं।

निर्जला एकादशी पर तुलसी की पूजा का महत्‍व
हिंदू धर्म में तुलसी पौधे का विशेष महत्व होता है। शास्‍त्रों में तुलसी को मां लक्ष्‍मी का प्रतीक भी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी की इनकी पूजा करने से भी भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।