Faridabda/Alive News : हरियाणा का प्रमुख पर्यटक स्थल ध्यान-कक्ष आजकल सबके आकर्षण का केन्द्र बनता जा रहा है। इसलिए स्कूल, कालेजों, उच्च शिक्षा संस्थानो, एन.जी.ओ. सुसाइटीयों के अतिरिक्त अब देश भर के विभिन्न उद्योगोपति भी इस ध्यान-कक्ष की शोभा देखने के लिए आ रहे है। इसी श्रृंखला में आज वसुन्धरा परिसर में स्थित इस समभाव-समदृष्टि के स्कूल की शोभा देखने पधारे हुए थे CCI-MSMU, Fedration of buying agent, SAMA, MAF, IECSME, ILACC MSME Chamber of Commerce and Industry of India, IOED के विभिन्न उद्योगपति उपस्थित सजनों को यहाँ समभाव-समदृष्टि की महत्ता से परिचित कराते हुए कहा गया कि भौतिकवादी इस युग में, हर पल शांतमय अवस्था में बने रहने के लिए समभाव अपनाओ। ऐसा इसलिए क्योंकि समभाव हर परिस्थिति में अपने मन- मस्तिष्क को संतुलित अवस्था में साधे रखने की शक्ति है। यह प्राणी का मूल या प्रधान गुण है जो उसमें सदा रहता है तथा प्राणी की प्रधान एवं समान प्रवृत्ति है।
यह वह अवस्था है जिसमें मनुष्य का किसी एक ओर झुकाव नहीं होता यानि यह रूप, गुण, मान आदि में अभिन्न यानि समान एवं अपरिवर्तित रहने का भाव है। यही यथार्थता एवं सम्पूर्णता का भाव है तथा मनुष्य की कभी न छूटने वाली विशेषता है। इसे मनुष्य के निष्पक्ष, विरक्त तथा सद्गुणसम्पन्न होने की सर्वोत्तम स्थिति भी कहते हैं। इस तरह समभाव शुद्ध चेतना का प्रादुर्भाव है। यहां न प्रियता है न अप्रियता, न अतीत का अनुभव है न भविष्य की चिंता। यह वर्तमान है और इसमें अर्थात स्मृति, कल्पना तथा राग-द्वेष से मुक्त क्षण में अफुरता से जीवन जीना है। वर्तमान में जीवन जीने का अर्थ है मन को विश्राम देना अर्थात् कर्म- फल के भार से मुक्त हो मानसिक तनाव से छुटकारा पाना।