New Delhi/Alive News : अफगानिस्तान के कंधार में तालिबानी आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच जारी लड़ाई की कवरेज के दौरान भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की हत्या कर दी गई. सिद्दीकी की मौत पर जो बाइडेन प्रशासन और अमेरिकी सांसदों ने दुख जताया है.
एजेंसी के मुताबिक, सिद्दीकी को 2018 में पुलित्जर अवार्ड से सम्मानित किया गया था. वे न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम करते थे. सिद्दीकी को तालिबानी आतंकियों ने गोली मारी. घटना के समय वे अफगान सुरक्षाबलों के साथ थे.
‘सिद्दीकी को उनके काम के लिए जाना जाता था’
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जलीना पोर्टर ने कहा, हमें यह सुनकर काफी दुख हुआ कि रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत अफगानिस्तान में लड़ाई को कवर करते हुए हुई. उन्होंने कहा, ”सिद्दीकी को उनके काम के लिए जाना जाता था, खासकर दुनिया के लिए सबसे जरूरी और चुनौतीपूर्ण समाचारों में उनकी खींची फोटो हेडलाइंस के पीछे की भावनाओं और मानवीय चेहरों को सबके सामने रखती थीं. रोहिंग्या संकट कवरेज के लिए पुलित्जर अवार्ड मिला.”
पोर्टर ने कहा, सिद्दीकी की मौत ना सिर्फ रॉयटर्स और उनके सहयोगियों के लिए बड़ा नुकसान है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए बड़ा नुकसान है. अफगानिस्तान में अब तक बहुत से पत्रकार मारे जा चुके हैं. हम हिंसा को रोकने की अपील जारी रखते हैं. अफगानिस्तान में आगे बढ़ने का सिर्फ एक रास्ता न्यायसंगत और टिकाऊ शांति समझौता है.
‘सिद्दीकी की मौत पत्रकारों के जोखिम की याद दिलाती है’
वहीं, सीनेटर और अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के रैंकिंग सदस्य जिम रिस्च ने सिद्दीकी की मौत पर दुख जताया. उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में तालिबान की कवरेज के दौरान रॉयटर्स के पत्रकार दानिश सिद्दीकी की दुखद मौत हमें उन जोखिमों की याद दिलाती है, जो समाचार शेयर करते वक्त पत्रकार उठाते हैं. किसी भी पत्रकार को अपना काम करते हुए नहीं मारा जाना चाहिए.
सीपीजे एशिया प्रोग्राम के कोऑर्डिनेटर स्टीव बटलर ने कहा, रॉयटर्स के फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की मौत एक दुखद सूचना है. भले ही अमेरिका और उसके सहयोगी अफगानिस्तान से सेना वापस बुला लें, लेकिन पत्रकार अपना काम जारी रखेंगे. उन्होंने कहा, लड़ाकों को पत्रकारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए.