हिंदू पंचांग के अनुसार 10 जुलाई को आषाढ़ मास की कृष्ण पक्ष की तिथि का दिन भगवान शनि को समर्पित है। इस दिन लोग शनिदेव की पूजा करते हैं। पौराणिक हिंदू मान्यता के अनुसार शनिदेव को ज्योतिष ने नौ ग्रहों (नवग्रह) में से एक माना है। इस दिन को शनि अमावस्या भी कहा जाएगा और यह शनि की साढ़े साती से पीड़ित लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
व्रत का महत्व
शनिवार के अधिपति देव शनि महाराज हैं। वह व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं, इसीलिए इन्हें न्याय का देवता कहा जाता है। शनि की महादशा का सामना कर रहे व्यक्तियों को शनिवार का व्रत रखना चाहिए क्योंकि अगर कर्मों के फलदाता आपके पूजा से खुश हैं, तो आपके जीवन से दुखों का अंत हो जाएगा।
शनि देव को काली वस्तुएं बहुत पंसद है, इसलिए काले तिल, काला वस्त्र, तेल, उड़द बहुत ही प्रिय हैं। शनि देव की पूजा में इन वस्तुओं का उपयोग अवश्य करना चाहिए। आज शनिवार है, जो लोग आज का व्रत रखते हैं, वे आज की व्रत, पूजा विधि और महत्व को यहां जान सकते हैं।
व्रत पूजा विधि
इस दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान कर शनि देव का स्मरण करें। इसके बाद पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करना चाहिए। लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराना और मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें। इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से पूजा करें। व्रत में पूजा के बाद शनि देव की कथा का श्रवण करें और दिनभर उनका स्मरण करते रहें।