November 17, 2024

आज है कालाष्टमी, जानें महत्व और पूजा विधि

जून मास की शुरुआत होने के साथ त्यौहारों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। हिंदू धर्म के अनुसार यह महीना अत्यधिक पावन और शुभ माना जाता है। इस महीने के दूसरे दिन यानी कि 02 जून को कालाष्टमी है।

कालाष्टमी को काला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है और इसे हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दौरान मनाया जाता है। कालभैरव के भक्त कालाष्टमी के दिन उनकी पूजा और उनके लिए उपवास रखते हैं। मान्यता के अनुसार इनकी पूजा करने से कुंडली में राहु-केतु और नकारात्मक शक्तियों से छुटकारा मिलता है। कालाष्टमी के दिन भगवान भैरव के सौम्य रूप बटुक की पूजा होती है।

शास्त्र के अनुसार काल भैरव को भगवान शिव का गण और माता पार्वती का अनुचर माना गया है। हिंदू धर्म शास्त्रों में काल भैरव का बहुत महत्व बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार भैरव शब्द का अर्थ है भय को हैराने वाला अर्थात जो उपासक काल भैरव की उपासना करता है। उसके सभी प्रकार के भय हर उठते हैं। ऐसी मान्याता है काल भैरव में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियां समाहित रहती है।

कालाष्टमी की पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन भक्त को स्नान आदि से निवृत्त होकर घर के पूजा स्थल पर बैठे और व्रत का संकल्प लेकर अब भगवान शिव या काल भैरव की मूर्ति स्थापित कर उनके सामने दीपक प्रज्वलित करें। अब विधि विधान से पूजा करें। काल भैरव के साथ भगवान शिव की भी पूजा करें।

कालाष्टमी व्रत का महत्त्व
शास्त्रों के अनुसार कालाष्टमी के दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखने से भगवान शिव और काल भैरव की विशेष कृपा होती है। इनकी कृपा से भक्त के सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती है और शनि के बुरे प्रभाव से बचा जा सकता है। काल भैरव की कृपा से हर प्रकार के शत्रुओं से छुटकारा मिलती है।