May 2, 2024

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए हर जिले में होगी विजिलेंस टीम, सरकारी विभागों पर कार्रवाई का होगा अधिकार

Chandigarh/Alive News : प्रदेश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए गठबंधन सरकार चौटाला और भजनलाल के 31 साल पुराने फाॅर्मूले पर काम करेगी। 1990 में मुख्यमंत्री रहते ओमप्रकाश चौटाला ने हर जिले में विजिलेंस टीम का गठन करने का आदेश दिया था, जिसे कई अधिकार दिए गए थे। कुछ समय बाद सरकार बदली तो उन आदेशों में थोड़ा संशोधन करके 1991 में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल ने नए आदेश जारी किए, लेकिन इन आदेशों पर कभी काम नहीं हुआ।

अब मुख्य सचिव विजय वर्धन ने उन पुराने दो आदेशों को फाइल से बाहर निकाल कर सभी डीसी को उन पर सख्ती से काम करने के लिए कहा है। एडीसी की अध्यक्षता में बनने वाली यह टीमें न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए काम करेंगी, बल्कि प्रशासनिक कार्य प्रभावशाली तरीके से कराने का भी प्रयास करेंगी। हर कार्य पर नजर रखने के साथ अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर भी पैनी नजर रखेगी। मुख्य सचिव ने कहा कि उक्त पुराने आदेशों के अनुसार जिलों से कोई रिपोर्ट नहीं आ रही है। यदि रिपोर्ट नहीं आती या काम में कोताही बरती गई, तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

यह होंगे जिला स्तरीय विजिलेंस टीम में शामिल, टीम कैसे करेगी काम

एडीसी या एसडीएम टीम के अध्यक्ष होंगे। जबकि एसपी की ओर से एक डीएसपी टीम के लिए नोमिनेट किया जाएगा। इसमें विजिलेंस का इंस्पेक्टर और संबंधित विभाग का जिला अधिकारी शामिल होगा। टीम एक माह में कम से कम 5 जगह औचक निरीक्षण करेगी। डीसी भी एक चेकिंग करेंगे। यह टीम विभागों में मौके पर जाकर रेड करेगी कि वहां कैसे काम हो रहा है। टीम स्कूल, कॉलेज, प्राइमरी हेल्थ सेंटर, तहसील, ट्रांसपोर्ट, पब्लिक हेल्थ, बिजली विभाग, सहकारिता, पुलिस चौकी व थानों का भी औचक निरीक्षण कर सकेगी। इसके साथ ही राजस्व विभाग कैसे काम कर रहा है। टैक्स कलेक्शन कैसे हो रहा है, इनकी जांच के अधिकार भी टीम के पास होंगे।
जिलों की टीमें यह भी जाचेंगी

टीम जरूरी सामान की पूर्ति करने वाले राशन डिपो, गैस एजेंसियों की जांच करेगी। यह देखेगी कि कहीं ब्लैक मार्केटिंग तो नहीं हो रही। विकास कार्यों में कैसी निर्माण सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है। निर्माण स्थल पर मजदूरों के रजिस्टर की जांच कर सकेगी। लोगों को कैसी सामग्री मिल रही है, जैसे कोल्ड ड्रिंक, दवाइयों, पेस्टीसाइट, खाद, पेट्रोल-डीजल आदि में मिलावट पर भी नजर रखी जाएगी।

3 सप्ताह में करनी होगी कार्रवाई: कहीं गड़बड़ी मिलती है तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ जिला अधिकारी को भी एक्शन लेना पड़ेगा। उसे 3 सप्ताह में डीसी को रिपोर्ट देनी होगी।