Chandigarh/Alive News : देश में गधों की प्रजाति पर संकट मंडराने लगा है। पूरे देश में गधों की संख्या एक लाख 20 हजार से भी कम रह गई है। राजस्थान और महाराष्ट्र समेत 10 ही राज्य ऐसे हैं, जहां इनकी आबादी एक हजार से अधिक है। हरियाणा में तो इनकी कुल संख्या महज 800 ही है। इसमें से भी अंबाला में केवल तीन गधे ही बचे हैं, जबकि भिवानी में सबसे अधिक 80 गधे हैं। गधों की घटती आबादी से राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं। उनका कहना है कि प्राकृतिक संतुलन के लिहाज से भी गधों के संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।
गधों की उपयोग नहीं होने के चलते पालनहारों ने गधों से दूरी बना ली। इसका असर इनकी आबादी पर पड़ने लगा। बीते 15 साल में ही गधों की आबादी साढ़े चार लाख से घटकर एक लाख के करीब आ गई। मिली जानकारी के अनुसार पशुपालन विभाग के अनुसार तीन साल पहले हुई पशुगणना में राजस्थान में 23 हजार, महाराष्ट्र में 25 हजार, यूपी में 16 हजार, गुजरात व बिहार में 11 हजार, जम्मू कश्मीर में 10 हजार, कर्नाटक में 9 हजार, मध्य प्रदेश में आठ हजार व हिमाचल और आंध्र प्रदेश में 5-5 हजार गधे बचे थे। हर साल इनकी आबादी कम होती जा रही है और अगली पशुगणना में इनकी संख्या एक लाख से भी कम रहने की आशंका है। हरियाणा में केवल 800 गधे ही बचे हैं। यही हाल पंजाब और उत्तराखंड का भी है। उत्तराखंड में भी गधों की कुल आबादी एक हजार से कम ही है।
सबसे कम संख्या हरियाणा में
मिली जानकारी के अनुसार पशुधन के मामले में संपन्न हरियाणा में तो गधों की कुल संख्या ही 800 दर्ज है। इसमें भी अंबाला में 3, सोनीपत में 4, कैथल में 6, पानीपत में 6, कुरुक्षेत्र में 10, फतेहाबाद में 12, जींद में 14 और यमुनानगर में 15 गधे ही बचे हैं। इसके अलावा महेंद्रगढ़ में 19, फरीदाबाद में 21, करनाल में 21, पंचकूला में 22, रेवाड़ी में 22, चरखी दादरी में 33, झज्जर में 37, मेवात में 70, हिसार में 70, पलवल में 79, रोहतक में 79, सिरसा में 79, भिवानी में 80 और गुरुग्राम में 88 गधे हैं।