November 17, 2024

जिले के सूचना अधिकारी को अपने विभाग की ही नहीं हैं जानकारीः चावला

Faridabad/Alive News: सरकार लाखों रुपये खर्च कर जिले में एक ऑफिस बनाती है जिसमें कई अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है उस विभाग को जिला सूचना एंव जन संपर्क के रुप में जाना जाता है। इस विभाग की जिम्मेदारी मौजूदा सरकार की उपलब्धियों को लोगो तक पहुंचाना है। लेकिन इन दिनों अधिकारियों के रवैए को देखकर लगता है जैसे अधिकारी अपने ही विभाग की जानकारी नहीं रखते या फिर वह जनता से इन सूचनाओं को सांझा नहीं करना चाहते।

दरअसल, फरीदाबाद निवासी आरटीआई एक्टीविस्ट रविंद्र चावला ने हरियाणा के सभी जिला एवं जन सूचना कार्यालय से 2013 से अब 2021 तक का ब्यौरा मांगा था। जिसमें विभिन्न बिदुओं पर जानकारी मांगी गई थी। जिसमे सरकार की नीतियों योजनाओं, उपलब्धियों के प्रचार प्रसार पर जिला सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के माध्यम से किये गए खर्चे के साथ विभाग को कितना पैसा मिला, कितना उपयोग में लिया गया और सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में सूचना देने के समय जिले में कौन अधिकारी तैनात है जानकारी शामिल थी।

इसके साथ ही जिले में बनाए गए मीडिया सेंटर्स का निर्माण, उनका खर्चा और किसके आदेश पर इनको बनाया गया , साथ मे इनको सप्ताह में कितने दिन खोला जाता है आदि जानकारी मांगी गई थी। इसके साथ ही उन्होने विभाग में कितने वाहन है, उनमे जीपीएस की सुविधा है या नहीं वाहन कितना चला है, कितना डीजल लगा, इन वाहनों के रखरखाव के लिए कौन जिम्मेवार है साल में कितना बजट विभाग को मिलता है और कहां कहां खर्च किया जाता है। मीडिया सेंटर्स में पत्रकारों के चाय, पानी आदि का बिल कौन देता है की भी जानकारी मांगी गई थी।

रविन्द्र चावला ने बताया कि लगभग सभी जिलों ने सूचना देने की कोशिश की है लेकिन फरीदाबाद, पलवल, नारनौल और यमुनानगर के जिला सूचना विभाग ने जानकरी पूर्ण रुप से नहीं दी है। फरीदाबाद के अधिकारियों ने जवाब देने की बजाय आरटीआई को चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय के मत्थे मढ दिया।

रविन्द्र चावला ने बताया कि जिले को कितना बजट अलॉट किया गया और मीडिया सेंटर का बिजली का बिल पत्रकारों की चाय आदि का बिल कौन देता है, इन सवालों को भी चंडीगढ़ से संबंधित बताया गया है। पॉइंट नंबर दस, ग्यारह और बारह को भी चंडीगढ़ से संबंधित बताया गया है। इसमे विभाग के वाहनों के बारे में जानकारी मांगी गई थी।

चावला ने शंका जाहिर की है कि इन पैसों का सही से उपयोग नहीं हो रहा है। तभी डीआईपीआरओ ठीक से जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। रविंद्र चावला को जिन जिलों की जानकरी मिली है उसके अनुसार सरकार ने डीआईपीआरओ के माध्यम से 2020 से 21 तक 68 करोड़ 96 लाख रुपये का बजट अलॉट किया जिस में से 67 करोड़ 32 लाख रूपये प्रचार प्रसार में खर्च किये गए।

क्या कहना है लोकसंपर्क अधिकारी का
हमारे कार्यालय में रविन्द्र चावला द्वारा लगाइ गई आरटीआई का जवाब दे दिया गया है। जल्द जवाब की प्रति आप सब के सामने सांझा की जाएगी।
-राकेश गौतम, लोकसंपर्क अधिकारी फरीदाबाद