December 26, 2024

सरकार द्वारा गौशालाओं को दी जाने वाली आर्थिक सहायता ‘ऊंट के मुंह में जीरा’

Shashi Thakur/Alive News

Faridabad: ऊंचा गांव गौशाला को सरकार द्वारा दी जा रही आर्थिक सहायता ऊंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रही है। हरियाणा सरकार ऊंचा गांव गौशाला को आर्थिक सहायता के नाम पर लगभग तीन लाख रुपए दे रही है, जबकि गौशाला संचालक गौवंश पर प्रतिदिन चारा, साफ-सफाई, कर्मचारी, दवा, और डाॅक्टर को लगाकर करीब चालीस हजार खर्च करने पड़ रहे हैं।

इस गौशाला में 750 के करीब गौवंश
ऊंचा गांव गौशाला में करीब 750 के आसपास गौवंश है। जिनमें लगभग 350 के करीब नंदी और 300 गाय है। जबकि 100 के आस पास गाय के बच्चे है। इस गौशाला में नगर निगम द्वारा लाई गई गाय और बीमार चोटिल गाय को रखा जाता है। गौशाला छोटी होने के कारण यहां ज्यादा गाय और नंदी को नहीं रखा जा सकता।

ऊंचा गांव गौ मानव सेवा गौशाला

17 साल से चल रही है गौशाला
ऊंचा गांव की यह गौशाला 2007 से संचालित है। इस गौशाला में गायों के रखराव की जिम्मेदारी पहले से ही गौ मानव सेवा ट्रस्ट के पास है। 2007 से गौ मानव सेवा ट्रस्ट इस गौशाला को चला रही है। लेकिन 2020 में नगर निगम के निवर्तमान आयुक्त ने जिले की सड़कों को आवारा पशु मुक्त करने के लिए नई गौशाला के निर्माण का फैसला लिया, लेकिन फिर बाद में नगर निगम ने जिले में पहले से ही संचालित गौशालाओं को गोद लिया और संचालकों को आर्थिक सहायता देने की बात की। हालांकि, सरकार द्वारा गौशाला को आर्थिक सहायता दी जा रही है। लेकिन बस दिखावे के अलावा कुछ नही है।

गौशाला में नहीं है गोबर निस्तारण की व्यवस्था
गौशाला में गोबर निस्तारण की कोई स्थायी व्यवस्था नही है। संचालकों को सबसे ज्यादा रूपये गोबर के निपटान पर खर्च करना पड़ता है। ट्रस्ट ने तीन चार किलोमीटर की दूरी पर एक खेत पट्टे पर ली है और उसे ही गोबर डंपिंग यार्ड बनाया हुआ है। वहां टैक्टर की मदद से रोज सुबह और शाम गौशाला में एकत्रित गोबर को डंप किया जाता है।

क्या कहना है गौशाला के सेवादार का
गौशाला की देखभाल के लिए गौ मानव सेवा ट्रस्ट की तरफ से ही यहां पर 25 कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं। इसके अलावा गायों के इलाज के लिए यहां पर एक डॉक्टर नियुक्त है। इन सभी कर्मचारियों को ट्रस्ट ही वेतन देता है। इसके अलावा ट्रस्ट गौशाला की मेंटेनेंस समान से दान मिली राशि से कराता है। इसके अलावा हम चाहते हैं कि गौशाला को थोड़ी और जगह दी जाए, ताकि यहां पर यदि गायों की संख्या बढ़ती है तो उन्हें रखने में परेशानी ना हो। इसके अलावा सरकार से मांग है कि गौशाला संचालकों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता राशि में थोड़ी बढ़ोतरी की जाए ताकि और अच्छे तरीके से गायों की देखभाल की जा सके।
-रुपेश सिंह, मुख्य सेवादार, ऊंचा गांव गौशाला।