Poonam Chauhan/Alive News
Faridabad : दिल्ली के मुंडका में आगजनी की घटना ने जिले की भी गगनचुंबी इमारतों, औद्योगिक इकाइयों, होटलों, अस्पतालों और स्कूलों में फायर सेफ्टी के उपयोगों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। शहर की अधिकतर बिल्डिंगों में आग पर काबू पाने के पर्याप्त संसाधन तक नहीं है। औद्योगिक इकाइयां ही नहीं बड़े स्तर के अस्पताल, स्कूल-कॉलेज और कमर्शियल भवन भी बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि ऐसी औद्योगिक इकाइयों के संचालन की अनुमति अग्निशमन विभाग ने आखिर कैसे दे दी।
आपको बता दें कि गत दिनों दिल्ली के मुंडका में आगजनी की घटना में 27 लोगों की जान चली गई। लोगों के पास बच निकलने के लिए कोई साधन मौजूद नहीं थे। ऐसा ही हाल हमारे शहर की बिना सेफ्टी सर्टीफिकेट की गगनचुंबी इमारतों, औद्योगिक इकाइयों, होटल, अस्पताल और स्कूलों का भी है। यहां भी आधा हिस्सा आग के मुहाने पर खड़ा है, क्योंकि यहां अवैध कालोनियों में धड़ल्ले से व्यवसायिक गतिविधियां चलाई जा रही है। इन अवैध फैक्ट्रियों में हर साल आग की कई घटनाएं होती हैं। घटना होने पर मामला रफा-दफा करने के लिए कुछ दिन सख्ती दिखाई जाती है और फिर वही धड़ल्ले से काम शुरू हो जाता है।
पूंजीपति लोग अवैध कालोनियों में बहुमंजिला इमारतों को कम किराए पर लेकर औद्योगिक इकाइयां चला रहे हैं। यही वजह है कि जब भी आग लगती है तो लोगों के पास जान बचाने तक के लिए रास्ते नहीं होते हैं और रोजी-रोटी के लिए इन औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले मज़दूर अपनी जान गवांकर क़र्ज़ अदा करते है। ऐसा नहीं है कि यह सब प्रशासन से छिपकर हो रहा है। नगर निगम से लेकर पुलिस और अन्य तमाम एजेंसियों को इनकी जानकारी होती है।
नहीं माने जाते नियम
ऐसा नहीं है कि आग की घटनाओं को रोकने के लिए नियमों की कमी है। लेकिन नगर निगम से लेकर शहरी विकास प्राधिकरण और अन्य एजेंसियों में इसे रोकने के लिए पर्याप्त नियम है, बशर्ते इन नियमों की पालना कराना। फायर विभाग में भवनों में आग से बचाव के लिए कई तरह के प्रावधान है। अवैध इलाके में भी 15 मीटर से ज्यादा ऊंची आवस्य भवन में आग से बचाव किया जाना जरूरी है। वही व्यवसायिक तमाम परिसर में अलग-अलग मानक के मुताबिक आग से बचाव की व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन इन नियमों की पालना नहीं नहीं कराई जा रही।
हैंडीक्राफ्ट और गारमेंट्स इकाइयों में अधिक खतरा
सुरक्षा खामियों और लापरवाही की वजह से आगजनी की सर्वाधिक घटनाएं हैंडीक्राफ्ट और गारमेंट इंडस्ट्री में होती है। इन इकाइयों में कपड़ा, लकड़ी के मटेरियल का उपयोग करने उससे निकलने वाले बुरादे, पॉलिश मटेरियल, पैकिंग मैटेरियल तथा इकाइयों के कच्चे पक्के शेड्स की वजह से आग तेजी से फैलती है।
क्या कहना है फायर विभाग ऑफिसर का
चारों स्टेशनों पर हमारी गाड़ियां मौजूद हैं, हमारी पूरी तैयारी है। हाई राइज बिल्डिंगो को छोड़कर हम पूरी तरह से अलर्ट मोड में हैं। हमारे पास 8 फायर गाड़ियां ऑन रोड हैं जोकि तुरंत मौके पर पहुंचती हैं और दूसरी गाड़ियों से भी कांटेक्ट रखती है ताकि किसी बड़ी घटना से आसानी से निपटा जा सके।
-सत्यवान शामरीवाल, फायर ऑफिसर फरीदाबाद।