May 7, 2024

निगम तय समय में नही जारी कर सका खोरी विस्थापितों की सूची

Faridabad/Alive News : खोरी गांव के विस्थापितों को तय समय सीमा में डबुुआ कॉलोनी व बापूनगर में ईडब्ल्यूएस फ्लैट दिए जाने थे। इसके लिए 29 नवंबर को पात्रों की सूची जारी कर दो दिसंबर को ड्रॉ होना था। लेकिन पात्रों की जांच पूरी ना होने पर दोनों कार्य तय वक्त पर नहीं हो सके। हालांकि अब अधिकारियों ने 15 दिन बाद दोनों कार्यों के होने की उम्मीद जताई है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जून में खोरी गांव में नगर निगम ने अवैैध निर्माणों पर कार्रवाई की थी। इस दौरान करीब 10 हजार मकानों को तोड़ दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गांव के विस्थापितों को फ्लैट देने को कहा था। जिस पर निगम डबुआ कॉलोनी व बापूनगर में बने ईडब्ल्यूएस फ्लैट देगा। मिली जानकारी के अनुसार निगम को ऑनलाइन व कार्यालय में करीब करीब 5200 आवेदन मिले थे। लेकिन 15 नवंबर को अंतिम चरण में काफी संख्या में आवेदन मिले। जिसके बाद फ्लैटों के लिए आवेदन करने वालो की संख्या करीब सात हजार हो गयी है।

जानकारी के मुताबिक निगम पुराने और नए आवेदनों की जांच का कार्य अभी तक पूरा नहीं कर पाया है। इससे खोरी के पात्रों की सूची व ड्रॉ करने का काम तय वक्त पर नहीं हो पाया है। निगम की योजना थी कि दो दिसंबर को पात्रों का ड्रॉ करा दिया जाए। जिसमें उनके फ्लैट के नंबर की जानकारी दी जाती। वहीं 15 दिसंबर तक अलॉटमेंट लेटर जारी किया जाना था। 30 अप्रैल तक पात्रों को फ्लैट देने की योजना है। इसमें लोगों द्वारा दिए गए बिजली के बिल, वोटर कार्ड व परिवार पहचान पत्र की जांच की जा रही है। बाते दें, कि विस्थापितों पहले आधार कार्ड को भी स्थाई पते के रुप में मानने की मांग सुप्रीम कोर्ट में रखी थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट में स्थाई पते के रुप में मानने की बात खारिज कर दी थी। इससे करीब 1200 लोग इससे बाहर हो गए थे। इस देरी पर निगम ने अपने वकील को जानकारी दी ताकि सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया जा सके।

खोरी के पात्र लोगों को उनके घर टूटने के बाद से फ्लैट में रहने तक उन्हें प्रत्येक माह के हिसाब से सरकार उन्हें देगी। ऐसे में नगर निगम सभी आवेदनों की अब बारीकी से जांच कराएगा। जिससे फ्लैट आवंटन में कोई गड़बड़ी न होने पाए। जिसे फ्लैट मिलेगा, उसे ही पैसे मिलेंगे। खोरी गांव के विस्थापितों को डबुआ कॉलोनी व बापू नगर में बने ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स दिए जाने हैं। इसके लिए एक एजेंसी को कार्य दिया जाना है। निगम दस करोड़ से जर्जर हो चुके फ्लैटों को ठीक कराने की योजना भी बना रहा है। एक एजेंसी को टेंडर देने का काम चल रहा है।