May 21, 2024

टीम ने नए सिरे से शुरू की जांच, 50 करोड़ घोटाले में बैंकों से मांगी खातों की जानकारी

Faridabad/Alive News: नगर निगम में विकास कार्यों में हुए 50 करोड़ रुपये के घोटाला मामले में टीम ने निगम से किए गए भुगतान की बैंकों से स्टेटमेंट मांगी है। जिससे यह पता चल सके किस एवज में कितने रुपये का भुगतान किस काम के लिए किया गया। इस घोटाले से जुड़े कुछ कागजात पहले ही गायब कर दिए गए थे। ऐसे में नए टीम को घोटाले की एक-एक कड़ियों को जोड़ने में कठिनाई आ रही है।

आपको बता दे कि नगर निगम में विकास कार्यों में हुए 50 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच एक टीम नए सिरे से कर रही है। टीम ने निगम से किए गए भुगतान की बैंकों से स्टेटमेंट मांगी है। जिससे यह पता चल सके किस एवज में कितने रुपये का भुगतान किस काम के लिए किया गया।

गौरतलब हो कि निगम पार्षद दीपक चौधरी, महेंद्र और सुरेंद्र अग्रवाल ने वित्त ब्रांच से साल 2017 से लेकर 2019 तक विकास कार्यों का ब्योरा मांगा था। उन्होंने पूछा था कि किस फंड से किस ठेकेदार को कितनी पेमेंट हुई। अकाउंट ब्रांच ने पार्षद को अपनी रिपोर्ट दे दी थी।

पार्षदों ने जब रिपोर्ट का अध्ययन किया तो पता चला कि उनके वॉर्ड में 27 ऐसे कार्य हुए हैं, जिनमें एक करोड़ रुपये से ज्यादा की पेमेंट बताई गई। इनमें नालियों की रिपेयरिंग, इंटरलॉकिंग टाइल और स्लैब लगाने पर खर्च किया गया है लेकिन जमीन पर ये काम कहीं नजर नहीं आया। पार्षदों का आरोप है कि करीब दस वार्डों में कागजी कार्य दिखाकर करीब 50 करोड़ रुपये का बंदरबांट किया गया है।

इस घोटाले के सामने आने पर नवंबर 2020 में नगर निगम सदन की बैठक में ये मुद्दा जोर शोर से उठा था। इसके बाद एक तत्कालीन चीफ इंजीनियर ने मामला का जांच किया और सही पाया। तत्कालीन आयुक्त ने सरकार को आरोपी इंजीनियर समेत अन्य पर कार्रवाई की सिफारिश की। मिली जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट में शहरी निकाय विभाग ने कई कमियां पाई।

ऐसे में आरोपियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकी। इसके बाद इस पर दोबारा से रिपोर्ट मांगी गई। इसमें निगम के पूर्व चीफ इंजीनियर, एक अकाउंट आफिसर, एसडीओ व जेई पर गड़बड़ी करने का आरोप हैं। इस पर निगम आयुक्त यशपाल ने अतिरिक्त आयुक्त अभिषेक मीणा की अगुवाई में नई कमेटी गठित कर दोबारा जांच शुरू कराई है।

इसमें चीफ इंजीनियर रामजी लाल, डिप्टी मेयर मनमोहन गर्ग व पार्षद अजय बैंसला भी शामिल हैं। यह टीम नए सिरे से पूरे तथ्यों की जांच कर रही है। इसमें जीएसटी विभाग से जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद निगम द्वारा किए गए भुगतान पर बैंकों से जानकारी मांगी गई है। बैंकों से पेमेंट का पूरे ब्योरे का मिलान कराया जा रहा है। साथ ही वार्डों में काम को भी देखा जा रहा है।

जिससे वास्तविक घोटाले का आकलन हो सके। सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक रिपोर्ट में करीब 25 करोड़ की गड़बड़ी का मामला आया है। निगम के अतिरिक्त आयुक्त अभिषेक मीणा ने कहा कि टीम पूरे मामले की जांच कर रही है। एक-एक कड़ियों को जोड़ा जा रहा है। जल्द ही रिपोर्ट तैयार कर ली जाएगी।