Faridabad/Alive News : खोरी वासियों को पुनर्वासित करने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम और हरियाणा सरकार से लोगों के सर्वे के बारे में पूछा कि क्या नगर निगम ने तोड़फोड़ से पहले खोरी में कोई सर्वे करवाया है। इस पर नगर निगम अधिकारियों ने ड्रोन से सर्वे कराने की बात कही। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ड्रोन सर्वे के आधार पर खोरी वासियों को मकान देने के आदेश दिए है।
ऐसे में नगर निगम के लिए ड्रोन से किये गए सर्वे के आधार पर खोरी वासियों को पुनर्वासित करना बहुत मुश्किल कार्य होगा। क्योंकि निगम द्वारा तोड़फोड़ से पहले कराए गए ड्रोन सर्वे में न तो लोगों के आधार नंबर लिए गए थे और ना ही अनेक लोगों इस सर्वे में शामिल हुए थे। इससे पुनर्वास योजना को ठीक से लागू करने में परेशानी आने की संभावना जताई जा रही है।
इसके अब तक अरावली में वन विभाग की करीब पांच सौ हेक्टेयर जमीन पर अवैध निर्माण है। इनमें लगभग 140 फार्म हाउस, शिक्षण संस्थान, होटल व कॉलोनियां बसी हुई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नगर निगम और वन विभाग की ओर से दो माह से तोड़फोड़ की जा रही है, लेकिन यह कार्रवाई नामात्र तक सीमित हैं। निगम की ओर से अब तक 13 फार्म हाउस को तोड़ा जा चुका है। इनमें चार फार्म हाउसों में तोड़फोड़ कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद बुधवार को की गई थी। उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में हरियाणा सरकार को कहा था कि अरावली में बने अवैध निर्माणों को तोड़े जाने के संबंध में क्या बार-बार कहना पड़ेगा।
पुनर्वास के लिए तीन दस्तावेज है जरुरी
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में मामले में खोरी गांव रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के वकील ने बताया कि निगम ने पुनर्वास के लिए तीन दस्तावेज मांगे हैं। जिसमें बिजली बिल, परिवार पहचान पत्र और वोटर आईडी कार्ड, जबकि परिवार पहचान पत्र बनाने की योजना सरकार ने साल 2019 में शुरू की। इसलिए कई परिवार यह नहीं बना पाए। मजदूर आवास संघर्ष समिति खोरी गांव के सदस्य निर्मल गोराना ने बताया कि समिति ने खोरी से मजदूर परिवारों की बेदखली से पहले कई बार निगम और हरियाणा सरकार से खोरी गांव का संयुक्त सर्वे करवाने की मांग की थी, लेकिन निगम ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की है।