New Delhi/Alive News: दिल्ली की सड़कों पर महिलाओं ने स्टीयरिंग संभाला तो उनसे होने वाली चूक पुरुषों की तुलना में कम हो गए हैं। सड़कों पर 2021 में हुए हादसों में मौत के लिए पुरुषों की तुलना में महज एक फीसदी महिलाएं जिम्मेदार हैं। सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौत पर जारी दिल्ली सरकार की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
जानकारी के मुताबिक राजधानी में पिछले साल दुर्घटनाओं में हुई मौतों के लिए महिलाओं की अपेक्षा पुरुष कई गुना अधिक जिम्मेदार हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वाहन चलाते समय महिलाएं ज्यादा सतर्क होती हैं। अमूमन, वह देर रात ड्राइविंग सीट पर नहीं होती हैं। इसके अलावा वाहन चलाने के मामले में अभी भी लैंगिक असमानता है। इनका मिला-जुला असर रिपोर्ट में दिख रहा है।
पैदल चलते हुए सर्वाधिक महिलाओं की मौत
दिल्ली में 2021 में कुल 1,238 मौतें हुई। इनमें पुरुषों की संख्या महिलाओं से करीब 98 फीसदी अधिक है। इस दौरान 420 पुरुष दोपहिया चालकों सहित आठ महिलाओं ने भी जान गंवा दी। सड़कों पर पैदल चलते हुए हादसों का शिकार होने पर 71 महिलाओं की मौत हुई। दोपहिया वाहनों की पिछली सीट की सवारी भी महिलाओं पर भारी पड़ी। इस वजह से 37 लोगों की मौत हो गई, जबकि ऑटो रिक्शा पर सवार छह महिलाओं की भी इस दौरान मौत हुई।
साइकिल सवार की मौत नहीं
साइकिल सवार किसी भी महिला की हादसों में जान नहीं गई। जानकारों का कहना है कि महिला चालकों की कम संख्या होने की वजह से सड़क दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी भी महिलाओं के हिस्से में कम है। महिलाएं दोपहिया, साइकिल, कार, ऑटो और बस चला रही हैं। उनकी एकाग्रता और ड्राइविंग में दक्षता को देखते हुए दिल्ली सरकार महिला चालकों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है।
सीट बेल्ट और हेलमेट
आंकड़े बताते हैं कि 74 फीसदी मौतें भारी और हल्के वाहनों की वजह से हुई हैं। हेलमेट और सीट बेल्ट की अनिवार्यता, रफ्तार पर नियंत्रण और अधिक जोखिम वाले समय में प्रवर्तन, दोपहिया चालकों और पैदल चलने के लिए सुरक्षित सड़क डिजाइन को और बेहतर करने की विश्लेषकों ने आवश्यकता जताई है। इनमें सुधार होने से दुर्घटनाओं की संख्या कम होने से सड़कों पर सफर करना और सुरक्षित होगा।